जब तक दर्द नहीं मिटेगा… मुस्कान कैसे आएगी
दुर्दांतों का विनाश किए बिना सभ्यता का विकास असंभव… माफियाओं को मिटाएंगे… नशे के सौदागरों को नष्ट कर डालेंगे
इन्दौर। दिल में दर्द था और दिमाग में गुस्सा… चंद मिनटों की बात में ही मुख्यमंत्री ने अपना जेहन परोसते हुए साफ कर दिया कि यदि मैं सक्षम हूं तो कोई बेटी, कोई महिला अबला कैसे रहे… मासूमों को रौंदा जा रहा है… उन्हें नशे का गुलाम बनाया जा रहा है… उनका बचपन नोंचा जा रहा है… बच्चियां तड़प रही हैं… माफिया खूंखार हो रहे हैं… गुंडे कद बढ़ा रहे हैं… हैवानियत, शैतानियत मासूमियत को नोंचे जा रही है तो हम खामोश कैसे रह सकते हैं… कुछ घटनाओं ने झकझोर डाला… मुझे लगा कि यदि वो चुनौती बन रहे हैं तो हमें चेतावनी देना ही पड़ेगी और चेतावनी भी ऐसी हो कि माफिया जमीन में गाड़ दिए जाएं… नशे के सौदागर नष्ट कर दिए जाएं… लोग अपने अधिकार और आजादी से जी सकें…दर्द के विनाश के बिना विकास की मुस्कान संभव ही नहीं है… लोग देखेंगे कि प्रदेश नशामुक्त और माफियामुक्त होने के साथ ही भयमुक्त भी होगा… सरकारी मशीनरी अपना काम करेगी और जो काम करेगा वही पद पर रहेगा… निकम्मा और नाकारा घर बैठा दिया जाएगा…
प्रदेश के मुखिया के बेहद ही बदले तेवरों के साथ हुई इस मुलाकात में जहां उनके जेहन की ज्वाला नजर आ रही थी, वहीं दृढ़ता और संकल्प भी दिख रहा था…अब तक लोगों के जीवन की दैनंदिनी परेशानी दूर करने वाले मुख्यमंत्री कभी लाड़ली लक्ष्मी योजना चलाते रहे तो कभी कन्यादान योजना… कभी बच्चों की शिक्षा की राह आसान करते रहे तो कभी काम की सुविधा दिलाते रहे… प्रदेश के विकास की भाषा बोलने वाले मुख्यमंत्री इस बार गुंडों के विनाश, माफियाओं के खात्मे और नशे का अंत करने के लिए जिस तरह आक्रामक होकर उन्हें जमींदोज करने के लिए दृढ़ हुए, उसे देखकर उनकी वेदना को समझने के लिए यह प्रश्न जायज ही था कि यकायक इन तीखे तेवरों की वजह क्या रही…एक पंक्ति के इस प्रश्न पर ढेरों दर्द उंड़ेलते मुख्यमंत्री बोले कि बच्चियों के साथ हो रही ज्यादतियां जहां दिल दहलाने वाली थीं, वहीं उस अनैतिकता की जड़ खोजना जरूरी था… पता चला कि प्रदेश में नशे के सौदागरों का बढ़ता रसूख जहां युवाओं और बच्चों को रौंदकर उनका बचपन छीन रहा है, वहीं युवाओं को तबाही के रास्तों पर धकेल रहा है… गुंडे सभ्यता को नोंच रहे हैं… लोगों का घरों से निकलना दूभर हो रहा है… माफिया अपना कद बढ़ा रहे हैं… ऐसे दुर्दांतों को चुनौती और चेतावनी भी जरूरी थी… हमने पहले उन्हें सरकार का रौद्र रूप दिखाया… प्रदेश के हर शहर में गुंडों को ठिकाने लगाया…उनके घर, मकान-दुकान नेस्तनाबूद कर डाले…नशे के सौदागरों को जमीन से खोदकर निकाला…बड़े से बड़े तस्करों से लेकर उनके छोटे-छोटे शागिर्दों तक पहुंचकर उन्हें मिटाने, जेल भिजवाने और कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का काम हम करेंगे… कुछ ही दिनों में प्रदेश गुंडामुक्त, माफियाओं के अंत और नशे की गिरफ्त से मुक्त नजर आएगा… सरकार हर शहर…हर जिले…हर तहसील से गुंडे, माफिया और नशाखोरों के खात्मे पर तुली हुई है… वे समाज के लिए खतरा हैं…उन पर रासुका जैसी कार्रवाई भी छोटी है…उनके अस्तित्व को समाप्त कर उन्हें या तो अपराध छोडऩे या प्रदेश छोडऩे पर मजबूर कर दिया जाएगा…
नशे के आदी बनाए गए बच्चों का भी इलाज कराएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जहां नशे की छोटी से छोटी कड़ी को तोडऩे में जुटे हैं, वहीं बड़ी चुनौती यह भी है कि नशे के अभ्यस्त हो चुके बच्चों को हम इस आदत से कैसे निजात दिलाएं…हमने इस विषय पर भी काम करने के निर्देश दिए हैं, ताकि ऐसे बच्चों का जीवन विश्वास, प्यार और संवेदनाओं के साथ लौटाया जाए…
अब बर्दाश्त नहीं, जो काम करेगा वही रहेगा
अब तक अधिकारियों पर भरोसा करने वाले मुख्यमंत्री के तेवर इस बार अलग ही हैं…कई अधिकारियों को हाथोहाथ सजा देकर पद से हटाने वाले सवाल पर वे बोले कि जब मैं 16-16 घंटे काम कर रहा हूं तो सरकार के जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह कैसे हो सकते हैं। सरकार चाहे जितनी योजनाएं बना ले…निर्णय ले ले…यदि अधिकारी उसे अंजाम तक नहीं पहुंचाएंगे तो हमारी सोच और वादों का क्या होगा। इसलिए सजगता के साथ कठोरता भी जरूरी है… हम पहले समझाते हैं, फिर चेताते हैं…और न माने तो हटाते हैं।
खजाना भले ही सिमट गया हो… दिल बड़ा है….
15 महीने प्रदेश दूसरों के हाथों में रहा…लिहाजा खर्च और कर्ज बढ़ता गया…फिर कोरोना की महामारी ने अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दे डाला…सरकार तो सरकार व्यापार-कारोबार, घर-गृहस्थी सभी विचलित हो गए। धीरे-धीरे सब संभल जाएगा। हमने निश्चय किया था कि खजाना भरने के लिए हम आम जनता पर बोझ नहीं डालेंगे। कारोबारियों में उत्साह बढ़ाएंगे… इसलिए पेट्रोल-डीजल का टैक्स कम किया…प्रापर्टी व्यवसायियों के लिए स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी…युवाओं को कर्ज दिलाया…किसानों को राहत पहुंचाई…सरकार तेरा तुझको अर्पण की मानसिकता के साथ सारी समस्या दूर कर देगी।
म.प्र. के किसानों को कोई बहका नहीं सकता
हमारे किसानों ने तो प्रदेश का गौरव इस कदर बढ़ाया कि हर बार हमने कृषि कर्मण्यता का पुरस्कार पाया…उनके लिए हम इस कदर चिंतित रहते हैं कि उनका कोई आंसू धरती नहीं छू सकता…मध्यप्रदेश का किसान समझदार और सूझबूझ रखने वाला है, उसे कोई बरगला या बहका नहीं सकता…पहली बार देश के प्रधानमंत्री किसानों को शोषण से मुक्त कराने के लिए किसान बिल लाए…अब किसान अपनी फसल का अधिकतम मूल्य प्राप्त करने के लिए उसे कहीं भी बेच सकते हैं…इससे न केवल फसल के उचित दाम मिलेंगे, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा…मध्यप्रदेश का किसान यह बात समझता है…
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