वाशिंगटन (Washington.)। अमेरिका और ब्रिटेन ने हूती विद्रोहियों (America and Britain fight Houthi rebels) को काबू में करने के लिए पिछले 24 घंटे के भीतर उनके 8 ठिकानों पर बम गिराए, लेकिन हूती विद्रोही (Houthi rebels) इसकी बहुत परवाह नहीं कर रहे हैं।
लाल सागर में बढ़ रही अस्थिरता ने भारत जैसे देशों को परेशान करना शुरू कर दिया है। हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है। ईरान अपने दुश्मन इस्राइल और उसके पीछे ढाल की तरह खड़े अमेरिका से खफा है। लाल सागर का यह समुद्री गलियारा व्यापारिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन आदि से सीधे जुड़ा यह मार्ग एशिया को यूरोप से जोड़ता है।
भारत के पास रास्ता क्या है?
भारत के पास अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अपना कोई माल वाहक जहाज नहीं है। इसके लिए भारत अंतरराष्ट्रीय शिपिंग कंपनियों के मालवाहक जहाज पर निर्भर रहता है। जबकि भारत पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों से इसी रास्ते से 100 अरब डालर से अधिक का व्यापार करता है। इस रास्ते से कच्चे तेल, एलएनजी और अन्य का आयात-निर्यात करता है। शिपिंग मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इस गतिरोध के जारी रहने पर बड़ा आर्थिक दबाव पड़ सकता है।
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