अमेरिका ने ह्यूस्टन स्थित चीन के ह्युस्टन स्थित कॉन्सुलेट जनरल ऑफिस को शुक्रवार तक ख़ाली कर चले जाने के आदेश जारी किए हैं। ट्रम्प प्रशासन ने बुधवार को कहा कि एफबीआई के मुताबिक यह चीनी कॉन्सुलेट पिछले कुछ अरसे से खुफिया तंत्र का एक अड्डा बना हुआ था। इस बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को बराबर जानकारियां दी जा रही थीं। उधर, बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी विदेश विभाग के आदेश को अवैधानिक बताया है। चीनी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने धमकी दी है कि अमेरिकी विदेश विभाग ह्यूस्टन कॉन्सुलेट सेवाएं तत्काल बहाल करे, अन्यथा बदले की कार्रवाई के लिए तैयार रहे।
अमेरिकी मीडिया की मानें तो चीन की सरकार के इशारों पर ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्सुलेट खुफिया तंत्र का अड्डा बना हुआ था। मंगलवार की रात जैसे ही चीनी कॉन्सुलेट को बंद किए जाने के आदेश हुए तो आस पड़ोस के लोगों ने कॉन्सुलेट भवन के अंदर कोर्ट यार्ड में दस्तावेज जलने के दृश्य देखे, जो चौंकाने वाले थे। इस पर ह्यूस्टन फायर ब्रिगेड की गाड़ियां तत्काल घटना स्थल पर पहुंचीं लेकिन उन्हें भवन के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया गया। अंतरराष्ट्रीय समझौते के अनुसार दूतावास परिसर में फायर ब्रिगेड का इजाजत के बिना प्रवेश वर्जित है।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार ह्यूस्टन कॉन्सुलेट के स्टाफ के लोग अमेरिकी मेडिकल शोध कार्यों तथा आयल और प्राकृतिक गैस उद्योग से जुड़ी जानकारियां चुराने में लगे थे। इस कॉन्सुलेट ने अपने ऑफिस को खुफिया एजेंसियों से बचाव के लिए व्यापक बंदोबस्त किए थे। सीनेट खुफिया मामलों की समिति के एक सदस्य के हवाले से कहा गया है कि चीनी कॉन्सुलेट के अधिकारी मूलत: किन-किन गतिविधियों में संलिप्त थे, इस बारे में जानकारियां साझा करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से उनकी कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के बड़े व्यापारियों से बातचीत में चीनी अधिकारियों की खुफिया जानकारी एकत्र किए जाने के बारे में पता चलता रहा है। उन्होंने एफबीआई की ओर से ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्सुलेट बंद किए जाने का स्वागत किया है।