5 साल पहले खतरनाक घोषित इमारतों को तोडक़र चमचमाती हाईराइज बिल्डिंगें बनेंगी, ठंडे बस्ते में पड़े एलआईजी प्रोजेक्ट को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति ने दी मंजूरी
इंदौर। 5 साल पहले हाउसिंग बोर्ड (housing board) के एलआईजी में बने 268 फ्लैटों को नगर निगम खतरनाक और जर्जर घोषित कर चुका है, जिनकी आज कोई कीमत भी नहीं बची, क्योंकि रजिस्ट्री भी ऐसे जर्जर मकानों की नहीं हो सकती। लिहाजा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत हाउसिंग बोर्ड ने एक बार फिर इन जर्जर इमारतों को तोडक़र उनकी जगह नई चमचमाती हाईराइज बिल्डिंगें बनाने का निर्णय लिया है। बोर्ड की मंजूरी के बाद कल मुख्य सचिव (CS) की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति ने भी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।
हालांकि इनमें से अधिकांश जर्जर मकान खाली भी पड़े हैं और इन मकानों के मालिकों को तीन साल तक का किराया भी हाउसिंग बोर्ड देगा, अगर वे कहीं और शिफ्ट होते हैं। इतना ही नहीं, इन जर्जर मकानों के बदले 20 फीसदी अधिक बड़े और आधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त फ्लैट भी दिए जाएंगे। आज तो इन मकानों की कोई कीमत ही नहीं है। मगर इसके बदले नया प्रोजेक्ट पूरा होने तक का जहां किराया मिलेगा, वहीं एक करोड़ रुपए या उससे अधिक कीमत के नए फ्लैट भी मिल जाएंगे। प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं आवास नीरज मंडलोई के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को कल मंजूरी मिल गई है और जल्द ही अमल में लाया जाएगा, वहीं हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त चंद्रमौली शुक्ला का कहना है कि अधिकांश रहवासी सहमत भी हैं। दरअसल अभी हाउसिंग बोर्ड ने रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत जबलपुर, भोपाल के साथ इंदौर के इस एलआईजी प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। 2018 में ही इन मकानों को निगम द्वारा जीर्ण-शीर्ण और खतरनाक घोषित कर दिया था। 3.94 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से पुनर्विकार योजना के लिए 1.44 हेक्टेयर आवासीय उपयोग की जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा और सर्वसुविधायुक्त हाईराइज बिल्डिंगें बनेंगी, जिसमें 20 प्रतिशत अधिक क्षेत्रफल विद्यमान आवंटितों को उपलब्ध कराया जाएगा। दरअसल पूूर्व में हाउसिंग बोर्ड की इस योजना का विरोध जहां अवैध निर्माण करने वालों ने किया था, जो व्यावसायिक उपयोग भी कर रहे हैं।
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