मामला इंदौर-उज्जैन फोरलेन पर गोयलाखुर्द में विकसित हो रहे शिवांगी परिसर का, पिछले दिनों अवॉर्ड के साथ ठेका भी कोर्ट ने कर दिया था निरस्त
इंदौर। पिछले दिनों इंदौर हाईकोर्ट (indore high court) से ही इंदौर-उज्जैन फोरलेन (Indore-Ujjain four lane) पर हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) के 111 करोड़ (111 crore) के प्रोजेक्ट (project) को रद्द कर दिया था। पारित किए गए अवॉर्ड के साथ-साथ दिया गया ठेका भी निरस्त हुआ, जिसके चलते 116 मकानों का निर्माण खटाई में पड़ गया, जिनमें से कई मकानों की बुकिंग बोर्ड कर भी चुका है। इसके बाद बोर्ड की तरफ से हाईकोर्ट में रिव्यू पीटीशन 680/2024 दायर की गई, जिस पर अगली सुनवाई तक स्टे प्राप्त हो गया है। जिस डिवीजन बैंच ने निर्णय दिया वही इसकी सुनवाई भी करेगी। अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई की जाएगी। बोर्ड के अभिभाषक वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील जैन ने इस स्टे की पुष्टि भी की है।
हाउसिंग बोर्ड को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब सालों तक वह कोर्ट-कचहरी के बाद इंदौर-उज्जैन रोड पर 10 एकड़ से अधिक बेशकीमती जमीन हासिल कर सका था। इंजीनियरिंग कॉलेज तिराहे पर गोयलाखुर्द की इस जमीन को हासिल करने के लिए कई रसूखदारों ने पहले तो हाउसिंग बोर्ड पर दबाव बनाया और फिर कोर्ट-कचहरी के जरिए बोर्ड के आवासीय प्रोजेक्ट को रद्द करने के लिए याचिकाएं दायर की। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट में भी हाउसिंग बोर्ड जीत गया था और उसके बाद उसने शिवांगी परिसर के नाम से आवासीय सवाणिज्यिक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें, ऊपर फ्लेट के अलावा एलआईजी, एमआईजी, ईडब्ल्यूएस सहित अन्य श्रेणी के 116 मकानों का निर्माण भी किया जाना था। यह भी उल्लेखनीय है कि इस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ही किया था, जब वे मंत्री थे। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ आदेश जारी किया, जिसमें दिए गए निर्माण कार्य के ठेके के साथ अवॉर्ड को भी निरस्त कर दिया, जिसके चलते सकते में आए हाउसिंग बोर्ड ने ताबड़तोड़ विधि विशेषज्ञों से सलाह ली और इंदौर के ही वरिष्ठ अधिवक्ता और हाउसिंग बोर्ड के वकील सुनील जैन ने अपनी विस्तृत राय भी बोर्ड को सौंपी, जिसके आधार पर पहले तो हाईकोर्ट की डबल बैंच के समक्ष ही रिव्यू पीटीशन दायर की गई और उसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हाउसिंग बोर्ड ने 10 करोड़ रुपए से अधिक की राशि अब तक इस प्रोजेक्ट पर खर्च कर दी और मौके पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। वहीं कई परिवारों ने मकानों की बुकिंग भी करा ली। अब देखना यह है कि अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट क्या निर्णय सुनाता है। यह भी उल्लेखनीय है कि हाउसिंग बोर्ड यहां पर अपनी आवासीय कॉलोनी के साथ-साथ तीन व्यवसायिक टॉवरों का निर्माण भी कर रहा है और 41 करोड़ रुपए की प्रशासकीय मंजूरी भी शासन से लेने के बाद ठेका देकर मौके पर काम शुरू करा दिया। 10 करोड़ से अधिक की राशि बोर्ड निर्माण कार्यों पर खर्च कर चुका है। वहीं कोर्ट आदेश के बाद किसान परिवार द्वारा मौके पर अपना बोर्ड लगा दिए जाने की जानकारी भी सामने आई है। वहीं हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि डबल बैंच के समक्ष रिव्यू पीटीशन में अगली सुनवाई तक जहां स्टे मिला है वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दायर की गई है। दरअसल बोर्ड पर यह भी आरोप है कि उसने वृद्धाश्रम के नाम पर जमीन लेकर उसका व्यवसायिक इस्तेमाल शुरू कर दिया। चूंकि अभी इंदौर-उज्जैन रोड पर जमीनों के भाव जहां आसपास पर पहुंच गए हैं और हाउसिंग बोर्ड की गोयलाखुर्द की यह जमीन तो अत्यंत ही मौके की और करोड़ों रुपए कीमत की हो चुकी है, जिसमें अब किसानों के नाम पर रसूखदारों द्वारा यह लड़ाई लड़ी जा रही है, जो कि जमीनों का सौदा सालों पहले ही कर चुके हैं और अब यहां पर 10 हजार रुपए स्क्वेयर फीट से अधिक के भाव हो गए हैं। यानी जमीन की कीमत ही 200-300 करोड़ रुपए से कम नहीं है। हालांकि बोर्ड का कहना है कि इस 3.089 हेक्टेयर जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे, क्योंकि यह प्रोजेक्ट हाउसिंग बोर्ड के लिए तो अत्यधिक महत्वपूर्ण है ही, वहीं इसके माध्यम से सामान्य वर्ग से लेकर मध्यम और उच्च वर्गीय परिवारों की आवासीय समस्या का निराकरण भी किया जाएगा। इस बारे में इंदौर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील जैन ने भी अपना विस्तृत विधिक अभिमत आयुक्त सहित उपायुक्त व अन्य को सौंपा है, जिसमें उन्होंने 10 पेज में अपनी विस्तृत विधिक राय दी है।
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