भोपाल। मप्र के रेत से यूपी (UP) में घर बन रहे हैं। पश्चिम मध्य रेलवे (West Central Railway) के सैंड ढुलाई से यह संभव हो पाया है। पमरे ने भोपाल के बाद जबलपुर मंडल (Jabalpur Division) के गाडरवारा में माल गोदाम से पहली बार सैंड लोडिंग (Sand Loading) की है। लगभग 3834 टन सैंड लोडिंग (Sand Loading) कर एमपी क यूपी के लखनऊ मंडल के चौखंडी स्टेशन तक भेजा है। इससे रेलवे को 43 लाख रुपए मालभाड़ा के तौर पर राजस्व मिला है।
कोविड (Covid) के पहली और दूसरी लहर के बाद से ही रेलवे यात्री सेवाओं के अलावा मालभाड़ा से कमाई के नए-नए विकल्पों को अपना रहा है। समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक माल पहुंचाने के लिए रेलवे ने माल गाडिय़ों की रफ्तार भी बढ़ा दी है। इसका फायदा व्यापारियों को भी मिल रहा है। रेलवे (Railway) ने छोटे-छोटे व्यापारियों का समूह बनाकर उनके माल को एक शहर से दूसरे शहर भेजने का माध्यम बन रही है। अब इसी कड़ी में रेलवे से एमपी से यूपी को रेत पहुंचाई जा रही है। एमपी के नदियों से निकलने वाले रेत की यूपी में काफी डिमांड है।
सड़क परिवहन को रेलवे परिवहन में किया तब्दील
रेलवे को अपने इस प्रयास में सफलता भी मिली है। सड़क मार्ग से होने वाले माल परिवहन को वह रेलवे परिवहन में तब्दील करने में सफल रहा। पमरे द्वारा तीनों रेल मण्डलों में व्यापार विकास इकाइयां (बीडीयू) का गठन किया है। बीडीयू की मार्केटिंग से रेलवे को माल ढुलाई बड़ी मात्रा में मिल रही है। रेलवे ने पहली बार सैंड लोडिंग भोपाल मंडल के केपीएफपी से मंगलिया गांव के लिए किया था।
अब गाडरवारा से सैंड लोडिंग हुई शुरू
अब जबलपुर मंडल के गाडरवारा स्थित मालगोदाम से सैंड लोडिंग शुरू किया है। यहां से पहली बार एक मालगाड़ी में रेत भरकर 5 सितंबर को चाखंडी (लखनऊ मण्डल) के लिए भेजा गया। रेलवे माल ढुलाई को आकर्षक बनाने के लिए कई तरह की छूट व्यापारियों को दे रहा है। ये सफल रहा तो ट्रकों से रेत की ढुलाई कर यूपी ले जाने वालों को काफी फायदा होगा।
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