भोपाल। राज्य के शहरी क्षेत्र में अब बाजार के विस्तार के लिए जमीन का टोटा पडऩे लगा है। यही वजह है कि अब सरकार महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की खाली पड़ी हजारों एकड़ जमीन का व्यावसायिक उपयोग करने की तैयारी में है। शैक्षणिक संस्थाओं की खाली जमीनों पर परियोजना बनाने का काम मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरक्षना बोर्ड करेगा। खास बात यह है कि यह पूरी परियोजना सरकारी निजी कंपनी भागीदारी (पीपीपी मोड)पर रहेगी। जिसके तहत शैक्षणिक संस्थाओं की जमीनों पर मॉल से लेकर होटल तक खोले जा सकेंगे। हालांकि अभी प्रदेश में एक भी सरकारी शैक्षणिक संस्थान की जमीन पर इस तरह का कोई प्रोजेक्ट तैयार नहीं हुआ है। सरकारी उच्च शैक्षणिक संस्थाओं की खाली जमीनों का व्यावसायिक उपयोग करने की नीति पुरानी है, लेकिन मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने हाल ही में जबलपुर में महाविद्यालय भवन के भूमिपूजन समारोह में इसको लेकर फिर ऐलान किया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इंदौर, भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, रतलाम शहर में कुछ उच्च शैक्षणिक संस्थाओं की जमीनों को इसके लिए चिह्नित भी किया है। हालांकि इसका कोई प्रस्ताव अभी उच्च शिक्षा विभाग या अन्य किसी सरकारी एजेंसी के पास नहीं पहुंचा है। सरकारी निजी कंपनी भागीदारी प्रक्रिया के तहत खाली जमीन का व्यावसायिक उपयोग करने का काम मप्र गृह निर्माण एवं अंधोसंरचना मंडल को करना हैै, लेकिन अभी तक इस एजेंसी ने किसी भी महाविद्यालय की जमीन के लिए कोई संरचना तैयार नहीं की है।
इन विवि की जमीन पर भी निजी क्षेत्र की नजर है
इसके अलावा मप्र भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल, महात्मा गाँधी (चित्रकूट) ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट जिला सतना, राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय भोपाल, महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय कटनी, अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल, डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय महू, पंडित एसएन शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल, मध्यप्रदेश धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय जबलपुर के पास भी जमीन हैं। इनमें से कुछ संस्थाओं के पास शहरी क्षेत्र में जमीन के अलावा भवन भी हैं। जो खाली है। इनके भवनों का व्यावयायिक उपयोग हो सकता है।
प्रदेश में 1360 कॉलेज, 56 विवि
उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश में सभी तरह के 1360 महाविद्यालय और 56 विश्वविद्यालय हैं। इनमें सभी तरह के शामिल हैं। प्रमुख विवि बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर, छिंदवाडा विश्वविद्यालय छिंदवाडा के पास अच्छी खासी जमीन हैं।
नीति में ऐसा प्रावधान पहले से है। हालांकि अभी तक किसी भी महाविद्यालय या विश्वविद्यालय की जमीन या भवन का व्यावसायिक उपयोग के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया है। न ही शासन स्तर पर विचाराधीन है।
केसी गुप्ता, अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा
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