उदयपुर । आखिर कौड़ियों के भाव निजी हाथों में बेचा गया उदयपुर का पांच सितारा होटल लक्ष्मीविलास पैलेस अब फिर से सरकारी नियंत्रण में जाएगा। बुधवार को उदयपुर जिला प्रशासन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। दो दिन में पूरा ब्योरा बनाकर भारतीय पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (आईटीडीसी) को सुपुर्द कर दिया जाएगा।
एनडीए सरकार के दौरान साल 2001-02 में विनिवेश की गई सरकारी क्षेत्र के उदयपुर स्थित पांच सितारा होटल द लक्ष्मीविलास पैलेस को सीबीआई अदालत गलत ठहरा चुकी है। इसे फिर से सरकारी कब्जे में लिए जाने के आदेश के साथ ही जिला कलेक्टर उदयपुर को रिसीवर नियुक्त किया गया है। छह लाइन के मिले आदेश के बाद जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा ने बुधवार को होटल का कब्जा ले लिया। उन्होंने कहा कि इसका संचालन अब आईटीडीसी करेगी।
जिला कलक्टर चेतन देवड़ा का कहना है कि उन्हें सीबीआई अदालत के फैसले के अनुसार बुधवार को छह लाइन का आदेश मिला था जिसमें द ललित लक्ष्मीविलास पैलेस को अधिग्रहित किए जाने की कार्यवाही शुरू किए जाने तथा उन्हें रिसीवर नियुक्त किए जाने का उल्लेख था। इस आदेश की पालन में वह प्रशासन एवं पुलिस की टीम के साथ द ललित लक्ष्मी विलास होटल पहुंचे तथा उसे कब्जे में ले लिया। उसकी संपत्ति का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी आईएएस डॉ. मंजू को सौंपी गई है।
151 करोड़ की संपत्ति का विनिवेश महज साढ़े सात करोड़ में
उल्लेखनीय है कि उदयपुर की ख्यातनाम झील फतहसागर किनारे पहाड़ी पर लगभग सौ एकड़ भूमि पर स्थित हेरिटेज होटल लक्ष्मीविलास का विनिवेश साल 2001-02 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने किया और महज 7.52 करोड़ रुपये में इसे द ललित ग्रुप को दे दिया गया। इसके बाद केंद्र में सत्ता बदली और यूपीए सरकार ने इसे गलत मानते हुए इसकी सीबीआई से जांच कराई। सीबीआई ने इसकी संपत्ति का आंकलन करते हुए इसे 151 करोड़ की बताया। सीबीआई की जांच के बाद यूपीए सरकार ने इसके गलत विनिवेश को लेकर एनडीए सरकार में तत्कालीन विनिवेश मंत्री अरुण शौरी, सचिव प्रदीप बैजल, पर्यटन सचिव रवि विनय झा, फाइनेंशियल एडवाइजर आशीष गुहा, निजी वैल्यूअर कंपनी कांति करमसे के साथ भारत होटल्स लिमिटेड के प्रतिनिधि की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए केस भी दर्ज किया था। सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाई थी लेकिन उसे सीबीआई अदालत ने ठुकरा दिया था। सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद अब यह पुन: सरकार की सम्पत्ति होगी।
राजस्थान के मंत्री धारीवाल ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा
पिछले महीने राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने उदयपुर की लक्ष्मीविलास होटल के साथ हिन्दुस्तान जिंक के विनिवेश का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। उन्होंने कहा कि लाभ के सरकारी उपक्रमों का तत्कालीन एनडीए सरकार द्वारा किया गया विनिवेश अनुचित था जिन्हें रद्द किया जाना चाहिए।
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