भोपाल। प्रदेश के दिव्यांग बच्चों (Handicapped Children) के लिए राजधानी भोपाल (Bhopal) के पिपलानी (Piplani) क्षेत्र में अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (Early Intervention Center) शुरू हो गया है। जिसमें बच्चों (kids) को इलाज के साथ-साथ देखभाल एवं प्रारंभिक शिक्षा भी मिलेगी। अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (Early Intervention Center) खुलने से बच्चों के परिजनों को महंगे इलाज से निजात मिलेगी। केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचन्द गहलोत ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में दिव्यांग बच्चों के लिये 14 क्रॉस डिस्एबिलिटि अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (Early Intervention Center) का वर्चुअली शुभारंभ किया। यह सेंटर्स दिव्यांग बच्चों के लिये चिकित्सकीय, पुनर्वास देखभाल सेवाओं और प्री-स्कूल प्रशिक्षण (0 से 6 वर्ष) जैसी सुविधाएँ प्रदान करेंगे। पहले चरण में दिल्ली, मुम्बई, देहरादून, सिकंदराबाद, कोलकाता, कटक और चैन्नई में 7 राष्ट्रीय संस्थानों और भोपाल, सुंदरनगर, लखनऊ, राजनांदगाँव, पटना, नेल्लोर और कोझीकोड में 7 समग्र क्षेत्रीय केन्द्रों में यह सेंटर्स खोले जा रहे हैं। भोपाल में यह सेंटर क्षेत्रीय दिव्यांगजन पुनर्वास केन्द्र पिपलानी में स्थापित किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश के नि:शक्तजन कल्याण आयुक्त संदीप रजक ने सुझाव दिया कि शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और महिला-बाल विकास विभाग के आंगनवाडी केन्द्रों को साथ जोड़ते हुए संचालित करने पर पर बेहतर परिणाम मिलेंगे। केन्द्रीय सामाजिक न्याय मंत्री और राज्य मंत्री के साथ उत्तरप्रदेश के नि:शक्तजन कमिश्नर ने भी इस सुझाव की प्रशंसा करते हुए सहमति व्यक्त की। कुछ बच्चों में जन्म के बाद बोलने, सुनने, चलने सहित कई प्रकार का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तरह नहीं हो पाता है। कुछ नवजात बच्चों में चिकित्सकीय जाँच के बाद इसका पता चल जाता है, लेकिन अधिकतर में बच्चों की उम्र बढऩे के बाद ही माता-पिता को इसकी जानकारी हो पाती है।
प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों के मंहगे इलाज से राहत
अर्ली इंटरवेंशन सेंटर्स के खुलने से दिव्यांग बच्चों के माता-पिता को काफी राहत मिलेगी। प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों में दिव्यांग बच्चों का इलाज काफी मंहगा पड़ता है। बहुत से माता-पिता इस इलाज और प्रशिक्षण का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में भोपाल सहित देश में खुलने वाले 14 सेंटर्स से दिव्यांगों के इलाज में एक बहुत सकारात्मक प्रगति दर्ज हुई है।
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