उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल का भवन अब खुद बीमार हो गया है। यहाँ चारों ओर लगी लोहे की जालियाँ टूटने लगी है और वार्डों के पीछे गंदगी फैल रही है। दूसरी मंजिल पर हड्डी वार्ड तक जाने के लिए बंद लिफ्ट के स्थान पर नई लिफ्ट अभी भी नहीं लगी है। मजबूरी में इन परिस्थितियों में ही लोग यहाँ उपचार कराने को मजबूर हैं। जिला अस्पताल का भवन सालों पुराना है। सिंहस्थ के दौरान यहाँ मरम्मत के कुछ काम कराए गए थे और अस्पताल के भवन की रंगाई-पुताई भी की गई थी। इससे पहले कई बार जनरल तथा अन्य वार्डों में छत का प्लास्टर गिरने की कई घटनाएँ घटी थी। इस काम को भी सिंहस्थ में कराया गया था। अस्पताल परिसर में जल निकासी के लिए नई सीवरेज लाईन भी डाली गई थी लेकिन जिला अस्पताल की ऊपरी मंजिलों से पाईप के जरिये शौचालय और सुविधाघरों से आने वाले गंदे पानी की निकासी नहीं बदली गई।
यह पाईप वर्षों पुराने होकर सड़ गए हैं और ऊपरी मंजिल से नीचे के वार्डों के पीछे लगातार पानी बह रहा है। इस कारण जिला अस्पताल के वार्डों के पीछे हमेशा गंदगी बनी रहती है। इधर दो साल पहले जिला अस्पताल में फस्र्ट फ्लोर तक मरीजों को पहुँचाने वाली सालों पुरानी लिफ्ट भी बंद हो गई थी। हालांकि करीब 6 माह पहले यहाँ के लिए नई लिफ्ट लगाने के कार्य को मंजूरी मिल गई थी। पत्रकारवार्ता लेकर सिविल सर्जन डॉ. पी.एन. वर्मा ने बताया था कि जल्द ही पुरानी लिफ्ट की जगह यहाँ नई लिफ्ट लगाने का काम शुरु हो जाएगा। यह काम अभी भी शुरु नहीं हो पाया है। इस कारण फस्र्ट फ्लोर पर स्थित हड्डी वार्ड तक भर्ती मरीजों को लाने ले जाने में अस्पताल के वार्ड बाय और परिजनों को रोज मशक्कत करना पड़ रही है। इन अव्यवस्थाओं के बीच भी मजबूर लोग यहाँ अपना उपचार करवा रहे हैं।
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