अमल दरामद के साथ नायब तहसीलदार और पटवारी समय पर नहीं दे रहे जांच रिपोर्ट
इंदौर। राजस्व के महाअभियान के बावजूद पेंडेंसी के मामले और आवेदकों का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। कलेक्टर (Collector) ने सख्त लहजे में अपने अधीनस्थों को चेता दिया है कि हीला-हवाली नहीं चलेगी। जीरो टॉलरेंस (zero tolerance) की रणनीति पर ही काम होगा। काम नहीं किया तो कार्रवाई झेलनी होगी। उच्च अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र की तहसीलों का बारीकी से निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर ली है। अब काम नहीं करने वालों पर गाज गिरना तय है।
कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) ने इंदौर जिले का प्रभार लेते ही अपनी कार्यशैली जाहिर कर दी थी, लेकिन उसके बावजूद कुछ कर्मचारी और अधिकारी बाज नहीं आ रहे हैं। अब कलेक्टर जीरो टॉलरेंस की रणनीति अपनाते हुए कार्रवाई मोड में आ गए हैं। अपर कलेक्टर रोशन राय, सपना लोवंशी, गौरव बैनल के औचक निरीक्षण के बाद अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की पोल खुल गई है। कई तहसीलों में जहां लंबे समय से फाइलें दबाकर रखी गई हैं, वहीं समय पर पेशी नहीं होने के कारण आवेदकों को लटकाया जा रहा है। अमल दरामद के मामले भी भारी संख्या में रोके गए हैं। हालांकि तीनों ही अपर कलेक्टर ने अब तक अपनी जांच रिपोर्ट कलेक्टर को नहीं सौंपी है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बड़ी मात्रा में लापरवाही सामने आई है। जांच में खुलासा हुआ है कि आरआई और पटवारी समय पर जांच रिपोर्ट पेश नहीं कर रहे हैं। वहीं उनकी जांच रिपोर्ट नहीं आने के कारण कई मामलों में पेशियों में तारीख ही बढ़ाई जा रही है।
तीन नियम मानो, नहीं तो कार्रवाई झेलो
कलेक्टर आशीष सिंह ने तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी को चेताते हुए तीन नियम का उल्लेख किया है। उनके अनुसार पहला, पेशी से उतरे हुए मामले अब नहीं चलेंगे। समय पर जिन मामलों में पेशी नहीं हो रही है उन्हें निकालें और काम करें। दूसरा, आरआई और पटवारी की रिपोर्ट समय पर आए कि पेंडेंसी ज्यादा तो नहीं है और तीसरा, जो आदेश हुए उनका अमल हुआ या नहीं। इन्हीं तीन नियमों पर अमल करें और इसकी समय-समय पर जांच भी होती रहेगी। आवेदकों को समय पर न्याय मिले यह पहली प्राथमिकता होनै चाहिए। कलेक्टर के अनुसार अभी सिर्फ जांच कराई है, लेकिन यदि बड़ी लापरवाही सामने आई तो विधि अनुसार कार्रवाई भी की जाएगी। यदि उसके बावजूद कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आए तो सख्त कार्रवाई भी झेलना पड़ सकती है।
काम कब करें
पिछले दिनों अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के बाद पटवारी और नायब तहसीलदार भी परेशान हैं। उनके अनुसार प्रोटोकॉल और कई योजनाओं में काम करने के दौरान समय की कमी पड़ती है, जिसके कारण लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ती है। दबी जुबान में सभी कर्मचारी कहते पाए गए कि राजस्व का काम करा लो या प्रोटोकॉल। सरकारी योजना को लेकर दौरा करने के कारण भी मामले बढ़ जाते हैं। वर्तमान में अमला चुनाव की तैयारी में व्यस्त है।
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