भोपाल। शिवराज सरकार ने पंचायत के मुखिया सरपंच का मानदेय ढाई गुना कर दिया है लेकिन पंचायत के दूसरे पदाधिकारियों के मानदेय नहीं बढ़ाए है। इससे क्षेत्रीय पंचायतों के दौरे और जनता से मुलाकात के खर्च निकालना मुश्किल हो गया है। उनकी सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। त्रिस्तरीय पंचायती राज में पंच, उपसरपंच, सरपंच,जनपद सदस्य, जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद निर्धारित है। इनमें उपसरपंच का मानदेय पंचायती राज के शुरुआती वर्ष 1994 से तय ही नहीं किया गया है। हाल ही में सरपंच के मानदेय को 1750 रुपए से बढ़ाकर 4250 रुपए मासिक किए जाने के अपवाद को छोड़ दिया जाए तो दूसरे पद पंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य तथा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के मानदेय नहीं बढ़ाए गए हैं। पंच को तो 50 रुपए महीना मिलता है। दूसरे पदों पर आसीन जनप्रतिनिधियों के क्षेत्रीय दौरे, जनता से मुलाकात तथा आकस्मिक मदद के खर्च इतने ज्यादा है, उन्हें मानदेय ऊंट के मुंह में जीरा सा लगता है।
कम मानदेय में दौरा करना मुश्किल
जिला पंचायत सदस्यों के पास कई-कई पंचायतों का जिम्मा है। मानदेय 45 सौ है। इतनी राशि में पूरी पंचायतों का दौरा मुश्किल है। फिर भी जिला मुख्यालय की एक बैठक में ही आधा मानदेय केवल वाहन खर्च में चला जाता है। जनपद सदस्यों की हालत और दयनीय है। सरकार को इन जनप्रतिनिधियों के मानदेय को बढ़ाना चाहिए। तभी पदों की गरिमा बनी रहेगी। सरकार के दूसरे पदों के मानदेय न बढ़ाने से जनप्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ी है। इन पदों के मानदेय सालों से नहीं बढ़ाए गए हैं। जबकि नगरीय निकायों में महापौर समेत अन्य के मानदेय वृद्धि की गई है। पंचायतीराज के दूसरे पदों पर अन्याय हो रहा है।
वर्तमान में पंचायत पदाधिकारियों का मानदेय
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