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    हनीट्रैप: कोर्ट को गुमराह कर रही है एसआईटी

  • October 20, 2020

    • असत्य एवं भ्रामक जानकारी देने पर एसआईटी चीफ समेत अन्य अफसरों को नोटिस जारी

    भोपाल। प्रदेश में बहुचर्चित हनीट्रैप कांड की सुनवाई कर रही विशेष कोर्ट ने एसआईटी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एसआईटी असत्य एवं भ्रामक जानकारी दे रही है। बार-बार पत्र लिखने के बावजूद एसआइटी हनी ट्रैप मामले में जब्त हार्ड डिस्क और सीडी की जानकारी कोर्ट में नहीं दे रही है। इस मामले में कोर्ट ने सोमवार को एसआईटी चीफ एडीजी विपिन माहेश्वरी, डीआइजी रुचिवर्धन, डीआइजी मिलिंद कानस्कर और पलासिया थाना प्रभारी शशिकांत चौरसिया को अवमानना नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। कोर्ट मामले में अब 6 नवंबर को सुनवाई करेगी। इंदौर नगर निगम के तत्कालीन सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह ने 17 सितंबर 2019 को हनी ट्रैप मामले में पलासिया पुलिस थाने पर रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। सभी आरोपित फिलहाल जेल में हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने मामले में जब्त इलेक्ट्रॉनिक सुबूत जांच के लिए हैदराबाद की फॉरेंसिक लैब भेजे हैं। वहां से अब तक रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के अभाव में जिला कोर्ट में इस मामले में सुनवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। कोर्ट ने एसआइटी को कई बार पत्र लिखकर पूछा कि हैदराबाद भेजी गई हार्ड डिस्क और सीडी की रिपोर्ट कब तक मिलने की संभावना है और रिपोर्ट जल्दी मिले इसके लिए क्या कार्रवाई की गई। बार-बार पत्र लिखने के बावजूद एसआइटी की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं आया। सोमवार को विशेष न्यायाधीश रेणुका कंचन ने एसआइटी के इस रवैये पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि वह सिर्फ भ्रामक और अस्पष्ट जानकारी दे रही है। कोर्ट ने विपिन माहेश्वरी (एडीजी एसटीएफ), रुचिवर्धन (डीआइजी), मिलिंद कानस्कर (एडीजी) और शशिकांत चौरसिया (पलासिया थाना प्रभारी) को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।

    कोर्ट की चिट्टियों का एसआईटी ने नहीं दिया जवाब
    आरोपी श्वेता विजय जैन ने आवेदन देकर हार्ड डिस्क और सीडी की कॉपी देने और जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए आवेदन दिया था। इस पर कार्रवाई करते हुए कोर्ट ने 19 अगस्त, 21 अगस्त, 28 अगस्त, 3 सितंबर को पत्र लिखे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस पर कोर्ट ने 7 सितंबर को जांच अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा था, लेकिन 15 सितंबर को जांच अधिकारी नहीं आए। 21 सितंबर को थाना प्रभारी उपस्थित हुए, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि जांच रिपोर्ट हासिल करने के लिए क्या कार्रवाई की गई। 30 सितंबर को भी सुनवाई में कोई उपस्थित नहीं हुआ। 19 अक्टूबर को कोर्ट ने एसआइटी के अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया।

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