भोपाल। प्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप केस की सुनवाई के दौरान सीडी ही नहीं चली। यहां जज के सामने अभियोजन पक्ष (सरकारी वकील) ने अभियोजक पक्ष (आरोपियों के वकील) के सामने लैपटॉप में सीडी लगाई, जो नहीं चली। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि सीडी पर कई स्क्रैच आ गए हैं, इसलिए लैपटॉप उसे रीड नहीं कर पा रहा। वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में संकलित साक्ष्य की सॉफ्ट कॉपी राज्य साइबर सेल में है। इसे पेन ड्राइव में कॉपी कर कोर्ट के सामने लाने की अनुमति दी जाए। इस पर कोर्ट ने पेन ड्राइव में साक्ष्य लाने की अनुमति दे दी। इसके बाद सीडी जज के सामने लिफाफे में बंद कर दी गई। हनी ट्रैप मामले में आरोपी श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, अभिषेक के वकील ने जांच एजेंसी की तरफ से साक्ष्य के तौर पर पेश की गई (सीडीआर) की सीडी का क्रॉस एक्जामिनेशन शुरू किया। इस दौरान सीडी नहीं चल सकी। श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, अभिषेक भी कोर्ट में मौजूद रहे। अभिषेक की तरफ से वकील शारिक चौधरी, जबकि आरती दयाल और श्वेता विजय जैन की तरफ से वकील सिराज अनवर की तरफ से पैरवी की गई। जज स्मिता सिंह ठाकुर की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई।
सीडी में कैसे आए स्क्रैच?
सीडी (कॉम्पैक्ट डिस्क) प्लास्टिक के कवर में पैक कर लिफाफे में सेफ रखी गई थी। बड़ा सवाल यह है कि ऐसे में सीडी में स्क्रैच कैसे आ गया? कम्प्यूटर हार्डवेयर एक्सपर्ट दिलीप सिंह ने बताया कि सीडी का निर्माण पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक से होता है। अमूमन दो कारणों से ही स्क्रैच आते हैं। पहला-सीडी प्लेयर के पॉकेट में डस्ट होना। इस हालात में जब भी सीडी को प्ले करने के लिए लगाया जाता है, तो लेंस रीड नहीं कर पाता। डस्ट की वजह से सीडी में स्क्रैच आ जाते हैं। हालांकि, इसमें सीडी अटक-अटक कर जरूर चलेगी। दूसरा- काफी समय तक सीडी को कवर में रखने पर उसका पॉलीकार्बोनेट कवर में चिपक जाता है। इससे भी सीडी रन नहीं होती।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved