भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से सरकार द्वारा लिए जा रहे लॉकडाउन के फैसले से एसडीएम ( अनुविभागीय अधिकारी)एवं जिला डीएम (जिलाधिकारी)असमंजस में है। क्योंकि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता)में क्षेत्र विशेष में गतिविधियां बंद करने या फिर सीमित करने का अधिकारी डिस्टिक्ट मजिस्ट्रेट व सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के पास हैं। ये अधिकारी जनमानव की सुविधा एवं क्षेत्र के हालात को देखते हुए एवं सरकारी संधाधनों को देखते हुए धारा 144 प्रभावी करते हैं। जबकि गृह मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के ऐलान से जिला एवं अनुविभागीय अधिकारियों में गफलत की स्थिति है।
सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन करने पर स्वाभाविक परिणाम, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 धारा 188 के अंतर्गत मुक़दमे का चलना होता है। दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 144 एक डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, सब-डीविजनल मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार की ओर से किसी विशेष स्थान या क्षेत्र में एक व्यक्ति या आम जनता को विशेष गतिविधि से दूर रहने या अपने कब्जे या प्रबंधन की किसी संपत्ति के संबंध में कोई आदेश लेने के लिए, आदेश जारी करने की शक्ति देती है। लॉकडाउन भी धारा 144 ही है। हालांकि सरकार द्वारा लॉकडाउन के ऐलान करने को लेकर किसी भी जिम्मेदारी अधिकारी ने प्रतिक्रिया नहीं दी है।
इंदौर-उज्जैन में अफसरों ने किया पालन
प्रदेश में सबसे ज्यादा संक्रमण शुरूआत में इंदौर एवं इंदौर जिले में फैला था। देशव्यापी लॉकडाउन के बाद भी हालात नहीं सुधरे। लॉकडाउन में छूट के बाद जिला अधिकारियों ने सीआरपीसी की धारा 144 का अपने हिसााब से प्रभावी किया। जिसके अब सही परिणाम सामने आ रहे हैं। खबर है कि दोनों जिलों में अभी भी कुछ क्षेत्रों में धारा 144 प्रभावी है। यह फैसला कोरेाना संक्रमण रोकने और जनहित को देखते हुए लिया गया है।
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