इंदौर। आज शहर में सैकड़ों स्थानों पर होलिका दहन किया जाएगा। आज गजकेसरी योग (Gajakesari Yoga) बना हुआ है। पंचांगों के अनुसार होलिका दहन भद्रा रहित मुहूर्त में किया जाना श्रेष्ठ रहता है। इस कारण अनेक जगह आज शहर में होलिका पूजन तो सायंकाल होगा, लेकिन होलिका दहन देर रात 1 बजे बाद ही किया जाएगा, वहीं कल रंग-रंगीला पर्व धुलेंडी मनाया जाएगा।
पिछले दो साल से होली (Holi) कोरोना के कारण उत्साह से नहीं मनाई जा सकी थी, लेकिन इस बार शहर में चारों ओर होली का माहौल, उमंग और उत्साह (Holi atmosphere, enthusiasm and enthusiasm) नजर आ रहा है। आज होलिका दहन के दिन चंद्रमा और बृहस्पति के योग से गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। यह शुभ फलदायी होता है। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन है। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह है, जो सुख, ऐश्वर्य, धन, समृद्धि का कारक है। इस प्रकार से देखा जाए तो इस बार की होलिका दहन पर बनने वाले योग सकारात्मक फल देने वाले हैं। होलिका दहन पचमेल लकड़ी और कंडों से किया जाना उचित रहता है।
होली पूजा शाम को और दहन रात में
होली पूजन प्रदोष काल यानी शाम को करने का विधान है। इसलिए आज शाम 6 से 7.30 तक होली की पूजा की जा सकती है। विद्वानों का कहना है कि प्रदोष काल में भद्रा के रहते हुए पूजा तो कर सकते हैं, लेकिन होलिका दहन भद्रा दोष खत्म होने के बाद करना चाहिए। भद्रा में दहन करने से अनिष्ठ होने की सम्भावना रहती है।
इस मुहूर्त में होली दहन श्रेष्ठ
आज भद्रा काल दोपहर 1.21 बजे से शुरू होकर रात करीब 1.22 तक रहेगा। इसलिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 1.22 से सुबह 6.28 तक रहेगा। हालांकि कई पंडितों के अनुसार रात 9 बजकर 6 मिनट से रात 10.16 तक होलिका दहन किया जा सकता है। इस दौरान भद्रा की पूंछ रहती है।
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