उज्जैन: विश्व भर में सबसे पहली होली (Holi 2023) भगवान महाकाल (Mahakal) के दरबार में जलाई जाती है. इसके बाद देशभर में होलिका दहन (Holika Dahan) होता है. प्राचीन मान्यताओं के चलते भगवान महाकाल (Mahakal) के दरबार में होलिका दहन की तैयारी एक दिन पहले ही कर ली जाती है. सबसे बड़ी बात यह है महाकाल के दरबार में होलिका दहन को लेकर किसी प्रकार का मुहूर्त नहीं देखा जाता है.
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार की शाम संध्या कालीन आरती के बाद होलिका दहन हुआ. यह विश्व भर में पहली होली होती है, जिसका सबसे पहले दहन किया जाता है. इसके बाद देशभर में होलिका दहन का सिलसिला शुरू होगा. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी आशीष गुरु बताते हैं कि भगवान महाकाल को ब्रह्मांड का राजा माना जाता है. इसी वजह से सबसे पहले राजा के दरबार में त्योहार मनाया जाता है. भगवान कालों के काल हैं इसलिए भगवान महाकाल के आंगन में पर्व मनाते समय किसी प्रकार का मुहूर्त भी नहीं देखा जाता है. भगवान के दरबार में जब पर्व शुरू होता है तो सभी काल चौघड़िए शुभ हो जाते हैं. महाकाल मंदिर में रात 8:00 होलिका दहन हुआ. अब इसके बाद देशभर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाएगा.
पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि सबसे पहले संध्या कालीन आरती में भगवान का विधि विधान से पूजन किया गया. इसके बाद आरती के दौरान हर्बल गुलाल उड़ा. भक्त और भगवान के बीच जमकर होली खेली गई. इसके बाद पंडित और पुरोहित द्वारा मंत्रोचार के साथ होलिका दहन किया गया. उन्होंने कहा कि यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. जब भक्त और भगवान के बीच होली खेली जाती है तो यह दृश्य अपने आप में काफी अद्भुत हो जाता है. देशभर के श्रद्धालु भगवान महाकाल के साथ होली खेलने के लिए उज्जैन पहुंचे. मुंबई से उज्जैन पहुंची अरुणा सिंह ने बताया कि भगवान के साथ होली खेलने का काफी महत्व है. भगवान के दरबार में लगा रंग जीवन में खुशहाली लेकर आता है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved