इंदौर। नगर निगम द्वारा शहर में होर्डिंग लगाने के लिए जारी किए गए टेंडरों में हाईकोर्ट के आदेशों की भी धज्जियां उड़ा दी गईं। पूरे मामले में नगर निगम का दोगलापन भी सामने आया है। 2016 में निगम द्वारा शहर से होर्डिंग्स हटाए जाने के खिलाफ इंदौर होर्डिंग ट्रेडिंग एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर निगम ने कोर्ट में सडक़ किनारे लगे होर्डिंग को यातायात में बाधक और जनसुरक्षा के लिए हानिकारक बताया था। इस मामले में कोर्ट ने निगम के तर्कों से सहमत होकर फैसला दिया था कि शहर के चौराहों, रीगल के आसपास और एमजी रोड पर होर्डिंग नहीं लग सकेंगे, लेकिन इसी नगर निगम ने 2019 में पूरे शहर में सडक़ किनारे होर्डिंग लगाने के टेंडर जारी कर दिए, जो अदालत को धता बता रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम द्वारा शहर में सडक़ किनारे होर्डिंग्स, यूनिपोल लगाने के लिए सितंबर 2019 में टेडर जारी किए गए थे। इस मामले में कई अनियमितताएं सामने आ चुकी हंै और ‘अग्निबाण’ इस पूरे मामले को घोटाले के रूप में सामने ला चुका है। होर्डिंग लगाने के लिए जिन कंपनियों को ठेका दिया गया है वे शहर के बाहरी क्षेत्रों की अनुमति पर मुख्य शहर में होर्डिंग लगा रही हैं। साथ ही निगम के अधिकारियों ने कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए निगम को 22 करोड़ से ज्यादा का चूना भी लगाया है। ‘अग्निबाण’ की इसी पड़ताल में आज आपको बता रहे हैं कि कैसे नगर निगम, जो कोर्ट में सडक़ किनारे होर्डिंग लगाने का विरोध कर चुका है, वो खुद ही कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए यह टेंडर जारी करने के साथ ही पूरे शहर में कंपनियों के माध्यम से होर्डिंग लगवा भी रहा है। मामले की शुरुआत होती है 2016 से। नगर निगम प्रदेश में लागू होने वाले नए विज्ञापनों को देखते हुए शहर से होर्डिंग्स हटाने का अभियान शुरू करता है। इसके खिलाफ इंदौर होर्डिंग ट्रेडिंग एसोसिएशन सहित अन्य इंदौर हाईकोर्ट में दो अलग-अलग रीट याचिका लगाते हैं, जिनका क्रमांक 1318/2016 और 1320/2016 है। इसमें राज्य शासन, नगर निगम, निगमायुक्त और एमआईसी को पार्टी बनाया जाता है। मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट 2 मार्च 2016 को एसोसिएशन की याचिका खारिज कर निगम के पक्ष में फैसला देते हुए सडक़ किनारे लगे होर्डिंग हटाए जाने का फैसला देती है।
निगमायुक्त ने कोर्ट में दाखिल किया था शपथ पत्र, सभी होर्डिंग हटाएंगे और भविष्य में अनुमति नहीं देंगे
कोर्ट के फैसले से नाखुश एसोसिएशन सहित अन्य पक्ष इसके खिलाफ हाईकोर्ट में रीट अपील दाखिल करते हैं। इसका क्रमांक 82/2016 और 83/2016 है। दोनों अपीलों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट 10 मार्च 2016 को इन्हें भी खारिज करते हुए निगम के पक्ष में अपना फैसला देती है। साथ ही तत्कालीन नगर निगम आयुक्त मनीषसिंह को आदेश देती है कि कोर्ट में सात दिनों में एक शपथ पत्र दाखिल करें कि वे शहर में सडक़ किनारे लगे सभी होर्डिंग्स, जो यातायात में बाधक और जनसुरक्षा व संपत्ति के लिए हानिकारक हैं, को हटाएंगे और भविष्य में कभी इन्हें लगाने की अनुमति नहीं देंगे। कोर्ट के आदेश पर सिंह 12 मार्च 2016 को कोर्ट में इस संबंध में शपथ पत्र भी दाखिल करते हैं।
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