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    कोरोना के चलते एचआईवी टेस्ट घटे, मगर संक्रमण उतना ही… इंदौर में 300 से अधिक मिले संक्रमित

  • December 01, 2020


    – गर्भवती महिला हो रही है एड्स की शिकार
    इंदौर। आज अंतर्राष्ट्रीय एड्स दिवस भी है। फिलहाल तो दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है, लेकिन अभी तक एड्स का ही कोई वैक्सीन नहीं बनाया जा सका है और इसके पीडि़तों की तो मौत तय ही रहती है। एड्स संक्रमण के मामले में भी इंदौर अव्वल रहा है। 1994 में पहला मरीज इंदौर में एड्स का मिला था, उसके बाद अभी इस साल 335 घरों में एड्स पाया गया, जिनमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते एचआईवी टेस्टिंग घट गई है। इस साल 76 हजार से अधिक एचआईवी टेस्ट किए गए।
    असुरक्षित यौन संबंधों के कारण दुनिया की सबसे खतरनाक मानी जाने वाली एड्स बीमारी होती है, जिसका अभी तक कोई इलाज मेडिकल साइंस नहीं ढूंढ पाया है। इस साल 11 महीने में 333 नए एचआईवी मरीज मिले हैं, जो कि 76 हजार से अधिक जांच में पाए गए। इनमें 18 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि 1994 में इंदौर में पहला एड्स मरीज मिला था, उसके बाद 26 सालों में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। फिलहाल पूरे प्रदेश में 69400 एचआईवी पॉजिटिव यानी एड्स रोगी उपचाररत हैं। इंदौर में अभी तक 12776 एड्स पीडि़त मिल चुके हैं। अभी कोरोना संक्रमण के चलते एचआईवी संक्रमितों की जांच कुछ प्रभावित भी हुई। वहीं संक्रमण की दर थोड़ी कम हुई है। इंदौर चूंकि व्यवसायिक राजधानी है और यहां बड़ी संख्या में बाहरी लोगों का आवागमन होता है। यही कारण है कि एड्स के रोगियों की संख्या पूरे प्रदेश में सबसे अधिक इंदौर में ही मिलती रही है। अभी तो सारे डॉक्टर कोरोना संक्रमण से जूझने में जुटे हैं, जिसके चलते एचआईवी टेस्टिंग में भी कुछ कमी आई है। इसको लेकर लगातार जागरूकता के लिए कार्यक्रम भी चलाए जाते रहे हैं। प्रदेश की बात करें तो बीते 15 सालों में 1 करोड़ से अधिक एचआईवी टेस्टिंग करवाई गई, जिसमें 69 हजार से अधिक एड्स मरीज मिले हैं। इंदौर में 100 से अधिक सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थाओं में एचआईवी टेस्टिंग की सुविधा है और प्रत्येक गर्भवती महिलाओं को भी अनिवार्य रूप से इसकी जांच करवाई जाती है, वहीं जिला जेल और केन्द्रीय जेल में बंद कैदियों की जांच भी होती है। इंदौर के शैक्षणिक संस्थाओं में भी लगातार एड्स को लेकर जागरूकता संदेश दिए जाते रहे हैं। सबसे अधिक एड्स रोगी असुरक्षित यौन संबंधों के कारण ही मिलते हैं, जिनकी संख्या 87 प्रतिशत से ज्यादा रहती है। वहीं 1 प्रतिशत से कम संक्रमित खून के उपयोग और साढ़े 3 प्रतिशत से ज्यादा संक्रमित सीरिंज सुंई के इस्तेमाल से हो जाते हैं। वहीं जो गर्भवती महिलाएं एड्स पीडि़त मिलती हैं, उनसे भी होन ेवाले बच्चे को साढ़े 3 प्रतिशत तक एड्स हुआ है। इस साल कोरोना के कारण एचआईवी जांच में 25 प्रतिशत की कमी आई है और मरीजों की संख्या भी कुछ घटी है। बावजूद इसके प्रदेश में सबसे ज्यादा 333 मरीज बीते 11 महीनों में मिले हैं। अब दिसम्बर की शुरूआज से हो रही है।

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