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    संघ के गढ़ नागपुर में इंदौरियों की बदौलत महायुति की ऐतिहासिक जीत

  • November 24, 2024

    विजयवर्गीय ने संभाला था मोर्चा… डेढ़ माह तक विदर्भ में रहे… इंदौर से गए थे हजारों कार्यकर्ता

    इंदौर से गए भाजपा कार्यकर्ताओं का को-ऑर्डिनेशन और मैनेजमेंट काम आया, विदर्भ की बड़ी जीत ने मध्यप्रदेश के नेताओं का भी कद बढ़ाया

    इंदौर। विशेष संवाददाता
    संघ (RSS) के गढ़ नागपुर (Nagpur) में भाजपा (BJP) की अगुवाई वाली महायुति को मिली ऐतिहासिक सफलता के पीछे मध्यप्रदेश (MP) के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Urban Administration Minister Kailash Vijayvargiya) के साथ ही उनके द्वारा लगाई गई इंदौरियों (Indoris) की टीम की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। यहां की 12 में से 9 सीट महायुति को और इनमें से भी 8 भाजपा के खाते में आई है और इसके पीछे पिछले तीन माह से वहां कड़ी मेहनत कर रहे इंदौर के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत रही है।


    इन लोगों ने वहां के भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच न केवल तालमेल जमाया, बल्कि आक्रामक चुनावी रणनीति के साथ बूथ मैनेजमेंट भी किया। मतदान कराने के बाद ही वापस लौटे। विदर्भ की 62 में से 45 सीट महायुति को मिली है और इनमें से 37 पर भाजपा उम्मीदवार जीते हैं। यह भी विदर्भ में आज तक की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड है। विजयवर्गीय सहित मध्यप्रदेश के चार बड़े नेताओं डॉ नरोत्तम मिश्रा, मंत्री प्रहलाद पटेल और विश्वास सारंग के जिम्मे विदर्भ के 9 जिले थे और इनमें भाजपा ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। विजयवर्गीय के मुताबिक नागपुर में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य जमाना बहुत कठिन काम था। इंदौर से गए नेताओं में इस काम को बखूबी निभाया। हमारे कार्यकर्ताओं ने बूथ लेवल का मैनेजमेंट संभाला और आक्रामक चुनावी रणनीति के सहारे हमने वहां के सारे समीकरण बदल दिए। मतदान के दिन भी मतदाताओं को घर से बूथ तक ले लाने के काम पर हमारे नेता और कार्यकर्ताओं ने ही मॉनिटरिंग की और इसी का नतीजा रहा की दोपहर 3 बजे तक जो लोग मतदान नहीं कर पाए थे, वे आखिरी 3 घंटे में मतदान करने पहुंचे।

    डॉ. खरे के प्रभार की 25 में से 21 आदिवासी सीट पर महायुति
    महाराष्ट्र की 25 में 21 आदिवासी सीट पर महायुति के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। भाजपा ने 12 सीट पर चुनाव लड़ा था। इनमें से 10 पर उसके उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। आदिवासी सीटों पर शिवसेना शिंदे और एनसीपी अजीत पवार के जो उम्मीदवार खड़े हुए थे, उन्हें जिताने में भी भाजपा के साथ ही संघ के नेटवर्क की बड़ी अहम भूमिका रही है। इन दोनों दलों को सीट विभाजन में आदिवासी सीट तो मिली पर वहां इनका मजबूत नेटवर्क नहीं होने के कारण भाजपा ही उनके लिए मददगार साबित हुई। उत्तर महाराष्ट्र की 48 सीटों के साथ ही इन 25 आदिवासी सीटों का प्रभार डॉ निशांत खरे के पास था। उत्तर महाराष्ट्र की 42 सीटों पर महायुति के उम्मीदवार जीते हैं।

    8 उम्मीदवार एक लाख से ज्यादा वोट से जीते, तीन आदिवासी भी शामिल
    महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के 133 में से आठ उम्मीदवार एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं। इनमें से तीन आदिवासी हैं। शिरपुर में भाजपा के आदिवासी उम्मीदवार ने 1,45,000 वोट से जीत हासिल की है, जो सर्वाधिक है। बागला और मेघलान में भी पार्टी के उम्मीदवार 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं।

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