उज्जैन। प्राचीन नगरी उज्जैन की पहचान क्षिप्रा नदी की हालत खराब है और नर्मदा का पानी डालकर किसी तक तरह त्यौहारों और स्नान पर्व मनाए जाते हैं। जिस दिन नर्मदा का पानी आना बंद हो गया, उस दिन शिप्रा नदी की हालत किसी नाले से कम नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि एक बार फिर शिप्रा नदी को शुद्ध करने की माँग उठ रही है लेकिन क्या करोड़ों रुपये का बजट बनाने से शिप्रा नदी साफ हो जाएगी। शिप्रा नदी को साफ करने के लिए कई बार योजना बनी और कभी यह बात की गई कि शिप्रा नदी के दोनों ओर रोड बनेगा एवं पौधारोपण किया जाएगा तो कभी नदी के दोनों और पाइप लाइन डालकर नालों का पानी निकालने की बात की गई लेकिन यह कोरी अधिकारियों की सनक दिखी तथा शिप्रा नदी के हालत नहीं सुधरी और हर योजना में करोड़ों रुपये खर्च हुए, नदी की मिट्टी और बाहर निकालने के लिए कई बार अभियान चलें और स्वार्थी लोगों ने अपनी राजनीति चमकाई।
कई संत महंतों ने भी बहती गंगा में हाथ धोये व और प्रचार पाया लेकिन शिप्रा को शुद्ध करने की इच्छाशक्ति नहीं होने के कारण नदी आज भी प्रवाहमान नहीं हो पा रही है तथा आने वाले वर्षों में यदि या नर्मदा का पानी शिप्रा नदी में आना बंद हो गया। कृषि प्रणाली की हालत रामघाट एवं तथा खाद्य क्षेत्र में ही किसी नाले जैसी हो जाएगी और अभी भी नदी का पानी काफी गंदा है क्योंकि इसमें सभी तरह का खतरा डालता है एवं कई नाले मिल रहे हैं। घर का गंदा पानी छोड़ा जा रहा है और इसलिए बाहर से आने वाले यात्री भी नहाना पसंद नहीं करते। अब समय आ गया है कि किसी अच्छी तकनीक से पहले यह तय किया जाये कि सीवरेज का पानी मिलने से कैसे रोका जाए और यह योजना कारगर होने के बाद ही शुद्धिकरण अभियान चलेगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved