– डॉ. रामकिशोर उपाध्याय
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से दो बार जमानत जब्त करा चुके कांग्रेस के पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद जिनका एनजीओ डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट दिव्यांगों के नाम पर सरकारी धन के हेरफेर के लिए सुर्खियों में रह चुका है और ये स्वयं भी प्रतिबंधित मुस्लिम संगठनों को न्यायिक सेवाएँ दिलाने के लिए भी आलोचनाएँ झेल चुके हैं, इस बार अपनी विवादित पुस्तक ‘सनराइज़ ओवर अयोध्या’ में हिंदुत्व की तुलना इस्लामिक आतंकवादी संगठनों से करके फँस गए हैं। यद्यपि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सलमान खुर्शीद के लिखे को तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिश्योक्ति पूर्ण माना है। किन्तु खुर्शीद उनके परामर्श को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
सलमान अब मीडिया साक्षात्कारों में भी कहने लगे हैं कि उन्होंने सोच समझकर हिंदुत्व की तुलना इस्लामिक संगठनों से की है। प्रश्न यह है कि संसार में लगभग पचास से भी अधिक इस्लामिक देश हैं, क्या किसी भी इस्लामिक या मुस्लिम बहुसंख्यक देश में किसी को भी मुसलमानों या इस्लाम की निंदा करने की अनुमति है? इस्लामिक देशों में तो इस्लाम की शान में जरा सी गुस्ताखी करने पर भी गर्दन काट दी जाती है। कई देशों ने ईशनिंदा कानून लागू कर रखे हैं। पाकिस्तान में सलमान तासीर की हत्या सबको याद ही होगी।
अब हिन्दुस्थान के हिंदुत्व की बात करते हैं। यहाँ बहुसंख्यक हिन्दुओं के प्रत्येक मंदिर में पूजा-आरती के बाद सामूहिक उद्घोष होता है- विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो। किसी भी मंदिर में नहीं कहा जाता कि केवल हिन्दुओं का कल्याण हो। ऐसा भी नहीं कहा जाता कि हे ईश्वर संसार के सभी गैर हिन्दुओं का नाश हो, हमें उन पर विजय दिला जबकि कुछ मजहबों में विधर्मियों के लिए लानतें भेजने का भी चलन है। हिंदुत्व का अर्थ है विश्वबंधुत्व। हर हिन्दू को बचपन से यही सिखाया जाता है कि प्राणी मात्र पर दया करो। परोपकार, सत्य, अहिंसा और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना हिंदुत्व के मूल तत्व हैं।
गुरु तेगबहादुर जी और उनके तीन शिष्यों को इसी हिंदुत्व की रक्षा करने पर मुगल शासकों द्वारा दिल्ली के चाँदनी चौक पर तड़पा-तड़पाकर मारा गया। भगवान शिव, महावीर स्वामी, भगवान बुद्ध सहित सभी देवों की मूर्तियाँ खंडित करने वाले और अब स्वयं को उनका उत्तराधिकारी घोषित करने वालों से भी हिन्दुओं ने कभी बदला लेने की नहीं सोची। अब हिंदुत्व की तुलना आतंकवादी संगठनों से किया जाना बड़े दुख की बात है। भारत का कोई हिन्दू और यहाँ तक कि सभ्य मुसलमान भी इस प्रकार की तुलना पसंद नहीं करेगा।
ऐसा लगता है कि सलमान खुर्शीद अब एक व्यक्ति न होकर हिन्दुओं से नफरत करने वाली मानसिकता का प्रतीक बन गए हैं। अच्छा हो कि आम मुसलमान जो हिन्दुओं के साथ प्रेम से रह रहे हैं और रहने की कामना करते हैं, वे स्वयं इस कथित बौद्धिक गैंग का विरोध और बहिष्कार करें। हिंदुत्व की इस्लामिक आतंकवादी संगठनों से तुलना केवल हिन्दुओं और हिन्दुस्थान का ही अपमान नहीं है अपितु यह भारत की महान सांस्कृतिक परंपरा पर आघात भी है। हिंदुत्व आरंभ से आज तक, जैसा था वैसा ही है। यह वही हिंदुत्व है जिसने मुहम्मद रसूल के परिवार वालों को तब शरण दी जब अरब के खलीफा उनके प्राण लेने पर तुले थे। इस अशरण शरण के कारण हिन्दू राजा दाहिर को अपना राज्य और यहाँ तक कि अपने प्राण भी गँवाने पड़े। ये वही हिंदुत्व है जिसने अत्यंत पिछड़े अल्पसंख्यकों को भी अपने संख्या बल से दबाने या धर्मान्तरण कराने का कभी प्रयास नहीं किया क्योंकि यह उसके संस्कारों में है ही नहीं। जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंखकों पर हो रहे अत्याचार तो सर्वविदित हैं।
हिंदुत्व से आशय उस भारतीय जीवन पद्धति से है जिसमें वसुधैव कुटुम्बकम की भावना और प्राणी मात्र पर दया करने का संस्कार समाहित है। बाबा साहब अंबेडकर कहा करते थे कि इस्लाम का भाईचारा केवल मुसलमानों का भाईचारा है उसमें गैर मुस्लिम के लिए कोई स्थान नहीं है। किन्तु हिन्दुओं का बंधुत्व तो विश्वबंधुत्व है इसमें धर्म देखकर प्रेम या नफ़रत करने का कोई उपदेश है ही नहीं।
आज पुनः ऐसा लगाने लगा है कि हिंदुत्व के विरोध में जो लड़ाई मुस्लिम लीग के माध्यम से लड़ी जा रही थी वही लड़ाई अब कांग्रेस के माध्यम से लड़ी जाने लगी है जबकि कांग्रेस के हिन्दू नेता भी इस प्रकार की तुलना से आहत होंगे। भारत में ऐसे कथित बुद्धिजीवियों की कमी नहीं है जो अल्लामा इक़बाल और जिन्ना जैसों को हीरो बनाकर हिन्दू संस्कृति पर सतत आक्रमण जारी रखाना चाहते हैं। कट्टरपंथी कलाकारों, नेताओं और बुद्धिजीवियों की एक गैंग है जो भारत में हिंदुत्व को मिटाकर, उसे विवादित बनाकर इस्लाम की श्रेष्ठता स्थापित करना चाहती है। यह गैंग भारत की एकता, अखंडता और भ्रातृत्व भावना को मिटाना चाहती है। ये लोग हिंदुत्व पर विवादित टिप्पणियाँ कर देश में बहुसंख्यक समुदाय को उकसाने का कम कर रहे हैं। हिंदुत्व का सौन्दर्य, संस्कार और सहिष्णुता कितनी महान है कि उसके मध्य में रहने वाले अल्पसंख्यकों को उसकी निंदा और अपमान करने से भय नहीं लगता। हिन्दुओं के इस धैर्य की तुलना करने के लिए संसार में एक भी इस्लामिक संगठन का नाम नहीं सुझा सकते आप।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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