नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मिली सफलता के बाद मध्यप्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी इन राज्यों के सफल फार्मूले को अपना सकती है। गौरतलब है कि प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में हिंदुत्व का मुद्दा जमकर चला। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर रूपी कट्टर छवि तथा चुनाव के दौरान बुर्का कांड जमकर चला। इसी के चलते राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि वोटों का ध्रुवीकरण हुआ और भाजपा को एक तरफा हिंदूवादी वोट मिले। हिंदुत्व के फार्मूले के इस फार्मूले के आगे बेरोजगारी महंगाई जैसे अन्य सभी मुद्दे गौण हो गए। अगले वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होना हैं। भाजपा यहां भी इसी रणनीति के तहत काम कर रही है और हिंदुत्व के मुद्दे को यहां पर भी भुनाना चाहेगी।
चुनाव अगले वर्ष पर सर्वे अभी से
2023 विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की तैयारियों का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि जमीनी स्तर पर भाजपा कि केन्द्रीय अलग-अलग सर्वे टीम गांव से लेकर शहरी क्षेत्रों तक चुनावी मुद्दों के साथ-साथ लोकप्रिय उम्मीदवारों की जानकारी भी अभी से जुटा रही हैं। इस जानकारी में लोकप्रिय भाजपा और उसके अनुवांशिक संगठनों के सभी कार्यकर्ताओं के हिंदुत्व के क्षेत्र में सक्रियता को भी प्रमुख रूप से देखा जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व के अति आत्मविश्वास ने सत्ता से दूर कर दिया था। 16 माह की कांग्रेस सरकार के बाद कांग्रेस को तोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा मे मिलाकर सत्ता प्राप्त की थी। भाजपा इस गलती को दोहराना नहीं चाहती इसीलिए समय से पहले जमीनी स्तर पर कार्य प्रारंभ कर दिया है।
हिन्दुत्व का मुद्दा प्रभावित करेगा उम्मीदवारी
नागदा खाचरौद विधान सभा क्षेत्र में भी यदि हिंदुत्व की बुलडोजर छवि को वरीयता दी जाती है तो काफी दावेदारों को मायूसी हाथ लग सकती है। अब तक के चुनावी दंगल में नागदा खाचरौद विधान सभा क्षेत्र मे जातिगत समीकरण के आधार पर उम्मीदवारी तय होती रही है। गुर्जर एवं राजपूत बहुल्य इस क्षेत्र मे इसी वजह से कांग्रेस से गुर्जर को और भाजपा की ओर से राजपूत उम्मीदवार को हमेशा मौका मिलता रहा है। वर्तमान में भाजपा की ओर से गत चुनाव में असफ़ल रहे पूर्व विधायक दिलीप सिंह शेखावत, वरिष्ठ भाजपा नेता सुल्तान सिंह शेखावत, संगठन से जुड़े प्रमुख नेता डॉक्टर तेज बहादुर सिंह चौहान एवं पूर्व विधायक लाल सिंह राणावत जातिगत समीकरण के चलते प्रमुख दावेदार हैं। इसी प्रकार वयोवृद्ध नेता पारस जैन के चुनाव नहीं लडऩे कि दशा मे जैन उम्मीदवार के रुप में पांच बार पार्षद रहने के साथ नपा उपाध्यक्ष और मण्डल अध्यक्ष रह चुके राजेश धाकड भी प्रमुख दावेदार हैं। पूर्व नपा अध्यक्ष शोभा यादव भी महिला उम्मीदवार के रुप मे एक बड़ी दावेदार हैं, परंतु बार यदि कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे पर आती है तो बजरंग दल एवं विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख कार्यकर्ता भेरूलाल टांक का नाम सबसे ऊपर आ जाता है। भेरुलाल टांक हिंदुत्व के क्षेत्र में तीन दशकों से लगातार सक्रिय है। इनके ऊपर दो बार जानलेवा हमले भी हो चुके हैं। ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्र मेंं इनकी कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप में एक अलग पहचान बनी हुई है। अब वक्त ही बताएगा कि भाजपा का हिन्दुत्व फार्मूला किसके आड़े आता है किसको सफल करता हैं।
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