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    मुस्लिम देशों में बेचा जा रहा था हिंदू महिलाओं का डाटा, जानिए कैसे चोरी होती थी जानकारी?

  • June 05, 2023

    नई दिल्ली: हिंदू महिलाओं का पर्सनल डाटा मुस्लिम देशों को बेचा जा रहा था. यह डाटा चुराया गया था ब्रा-पैंटी बनाने वाली एक कंपनी से. इस कारनामे को जो शख्स अंजाम दे रहा था, उसी ने Twitter पर इसकी जानकारी दी और खुद को हिंदूवादी बताकर महिलाओं को सावधान रहने तक की नसीहत दे डाली. आरोपी ने कंपनी से रुपये भी ऐंठे, जब कंपनी ने मामले की शिकायत की तो राजस्थान SOG ने इस पूरे खेल से पर्दा उठाया.

    हिंदू महिलाओं का डाटा चोरी करने वाले इस शख्स का नाम संजय सोनी है, राजस्थान एसओजी के मुताबिक संजय ने अपने साथियों की मदद से ही कंपनी से इस डाटा को चोरी किया था. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि डाटा सिर्फ राजस्थान का नहीं, बल्कि देशभर की युवतियों का है.

    यूजर डाटा में निजी जानकारियां होती हैं, इनमें चार पार्ट में बांटा जाता है, पहला होता है पर्सनल डाटा, इसमें नाम, पता, फोन नंबर, ईमेल आईडी होती है, दूसरा होता है डेमोग्राफिक डाटा, जिसमें उम्र, जेंडर, शिक्षा और व्यवसाय होता है, तीसरा होता है विहेवरियल डाटा, यानी हम इंटरनेट पर क्या करते हैं, सोशल मीडिया कितनी देर यूज करते हैं, कौन सी वेबसाइट देखते हैं, कितना क्लिक करते हैं और चौथा होता है लोकेशन डाटा, मसलन हमारी फिजिकल लोकेशन, कंप्यूटर का आईपी एड्रेस. ब्रा-पैंटी कंपनी से यही डाटा लीक किया गया था. इसमें महिलाओं के नाम, उम्र, मोबाइल नंबर, पता और अंडरवियर का साइज तक लीक किया गया था.

    कंपनी के पास कैसे पहुंचता है डाटा?

    जब कोई व्यक्ति ऑनलाइन किसी एप या वेबसाइट पर नाम, ईमेल, मोबाइल या अन्य जानकारी भरता है तो उसे टर्म एंड कंडीशन पर क्लिक करना होता है, यदि इन टर्म एंड कंडीशन को ध्यान से पढ़ेंगे तो इसमें साफ तौर पर लिखा होता है कि आप अपने डाटा को सेव करने के लिए कंपनी को अपना कंसेंट दे रहे हैं. अलग-अलग वेबसाइट-एप पर ये अलग-अलग हो सकता है.

    लीक कैसे होता है डाटा?

    किसी भी कंपनी के यूजर का डाटा सर्वर में सेव होता है, उसकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी कंपनी की साइबर सिक्योरिटी को होती है, यदि सर्वर सिक्योर नहीं है तो कोई भी हैकर्स वेबसाइट से डाटा को चुरा लेता है. इसके लिए सबसे ज्यादा जिस टर्म का यूज होता है उसे फिशिंग कहते हैं, हैकर्स सबसे ज्यादा फिशिंग ही करते हैं, इसके तहत किसी कंपनी या व्यक्ति के पास इमेल का मैसेज भेजता है, इसमें एक लिंक होता है, इस पर क्लिक करते ही एक मालवेयर हमारी डिवाइस में एक्टिवेट हो जाता है और हमारा सारा डाटा हैकर्स के पास पहुंच जाता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनी का ही कोई कर्मचारी पैसों के लालच में यूजर्स का डाटा बेच देता है.


    डाटा की लगती है बोली, किया जाता है ब्लैकमेल

    कंपनी और यूजर्स से डाटा इकट्ठा करने वाले हैकर्स डाटा खरीद के लिए नीलामी कराते हैं, बाकायदा बोली लगाई जाती हैं, डाटा कैसा है, कितना महत्वपूर्ण है उस आधार पर कीमत तय होती हे, ये सारा काम डार्क वेब पर होता है, खास बात ये है कि डार्क वेब पर होने वाले किसी भी सौदे या गतिविध के कोई डिजिटल फुट प्रिंट नहीं रहते, लिहाजा पुलिस कभी भी इन तक नहीं पहुंच पाती.

    कैसे पकड़ में आया आरोपी

    ब्रा-पैंटी कंपनी से डाटा चोरी को अंजाम दिया था आरोपी संजय सोनी ने, इसने सबसे पहले कंपनी के नाम के साथ ट्वीट किया था कि हिंदू लड़कियों का डाटा चोरी कर मुस्लिम देशों को बेचा जा रहा है. उसने कुछ लड़कियों का डाटा सार्वजनिक भी किया, जिसे सबूत बताया. इसके बाद उसने दूसरा ट्वीट किया. जिसमें 40 लाख हिंदू लड़कियों का डाटा बेचे जाने का दावा किया. आरोपी की ओर से जो डाटा का स्क्रीन शॉट शेयर किया गया था, उसमें देश भर की महिलाओं के नाम थे, इनमें उनके नाम-पता, ईमेल आइडी के साथ-साथ अंडरवियर का साइज तक लिखा हुआ था.

    SOG ने की ताबड़तोड़ कार्रवाई

    ब्रा-पैंटी कंपनी की ओर से राजस्थान SOG से डाटा चोरी किए जाने की शिकायत की गई. इसमें शेयर किए गए ट्वीट के बारे में भी बताया गया. आरोप ये भी लगाया गया कि कंपनी को ब्लैकमैल कर रुपयों की मांग भी की गई है. आरोपी इंटरनेट पर इसे सांप्रदायिक रंग भी दे रहा है. एसओजी ने जांच की तो सामने आया कि ये ट्विटर अकाउंट उदयपुर से ऑपरेट हो रहा है. सबसे पहले ट्विटर यूजर संजय सोनी को हिरासत में लिया गया.

    खुद को बताता था हिंदूवादी

    संजय सोनी खुद को हिंदूवादी बताता था, वह ट्विटर पर लगातार ऐसे ट्वीट करता था और एक वर्ग विशेष को निशाना बनाता था. राजस्थान एसओजी के मुताबिक संजय सोनी एक टेलीग्राम ग्रुप के जरिए हैकर्स से जुड़ा था, जो लीक्ड डाटा एक-दूसरे से शेयर करते थे.

    कंपनी से पैसे भी वसूले

    आरोपी संजय सोनी ने कंपनी को ब्लैकमैलिंग के लिए मेल भेजा था और तकरीबन 1500 डॉलर रकम भी वूसली थी. यह रकम दो अलग-अलग खातों में जमा हुई थी. खास बात ये है कि यह राशि क्रिप्टो करेंसी में मांगी गई थी. आरोपी रकम ऐंठने के बावजूद कंपनी को ब्लैकमेल कर रहा था. पुलिस की जांच में ये भी सामने आया कि संजय ग्रेजुएट है. 3 साल उसने खाड़ी देशों में रहकर नौकरी की. उस पर चार मामले भी दर्ज हैं.

    रेलवे का डाटा लीक होने का दावा

    आरोपी ने एक ट्वीट में रेलवे का डाटा भी लीक होने का दावा किया था. इसमें IRCTC को टैग किया गया था, इसका रिप्लाई करते हुए IRCTC ने जवाब दिया कि यूजर्स का डाटा पूरी तरह सुरक्षित है.

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