नई दिल्ली। बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं के खिलाफ लगातार हो रही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। यहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय (minority hindu community) के खिलाफ बीते कुछ दिनों से हो रही हिंसा के बाद पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा (Hindus leave Bangladesh) को लेकर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं।
बता दें कि हाल ही ताजा हिंसा में अब तक 12 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों घरों को आग के हवाले कर दिया है। हाली ही में दुर्गा पूजा के दौरान यह ताजा हिंसा कथित तौर पर कुरान को अपमानित करने के कारण भड़की, लेकिन आज हम चर्चा इस मुद्दे पर करेंगे कि आखिर क्यों बांग्लादेश में हिंदुओं को दोयम दर्जे की जिंदगी गुजारनी पड़ती है और उनकी संख्या लगातार क्यों कम हो रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश(Bangladesh) में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के बाद अब हिंदुओं की घटती आबादी की खबरें भी आने लगी हैंफ ब्रिटिश काल, पाकिस्तान से अलग होने और मौजूदा वक्त में हिंदुओं की आबादी के आंकड़ों में काफी अंतर दिखाई पड़ता है। बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स की मानें तो वहां तो हिंदुओं की आबादी लगातार घट रही है। कभी बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 33 फीसदी के आसपास थी जो अब घटकर 6 फीसदी पर पहुंच गई है।
आंकड़ों पर नजर डाले तो 1901 में हुई जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि उस वक्त बांग्लादेश (Bangladesh)में 33 फीसदी हिंदू और 66 फीसदी मुस्लिम आबादी थी. 1951 में वहां मुस्लिमों की आबादी बढ़कर 77 फीसदी और हिंदुओं की आबादी घटकर 22 फीसदी पर आ गई, हालांकि, उस समय आबादी में गिरावट आने की बड़ी वजह ये भी है कि 1947 में बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में हिंदू भारत आ गए थे। 1971 की जंग के बाद जब बांग्लादेश का जन्म हुआ तो 1974 में जनगणना हुई। उस समय वहां मुस्लिमों की आबादी 86% तो हिंदुओं की आबादी 13.5% हो गई। बांग्लादेश में आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी और उस वक्त के आंकड़ों के हिसाब से अभी वहां 8.5 फीसदी हिंदू बचे हैं, किन्तु अब ये आबादी घटकर 6 फीसदी के आसपास पहुंचने का अनुमान है।
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