नई दिल्ली (New Delhi)। अल्पसंख्यक महिलाओं (minority women)की सुरक्षा मामले(security matters) को लेकर पाकिस्तान(Pakistan) एक बार फिर से निशाने पर है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations)के विशेषज्ञों ने हिंदू और ईसाई महिलाओं(Hindu and Christian women) को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दिए जाने को लेकर इस्लामाबाद की आलोचना की है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर ईसाई और हिंदू समुदाय से जुड़ी युवतियों और लड़कियों के लिए सुरक्षा की कमी पर एक्सपर्ट्स ने निराशा जताई। उन्होंने कहा कि देश को संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने की जरूरत है। देश के हर एक वर्ग के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना होगा।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा, ‘ईसाई और हिंदू लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण, तस्करी, बाल विवाह, जबरन शादी, घरेलू दासता और यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।’ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के उच्चायुक्त कार्यालय की ओर से इसे लेकर बयान जारी किया गया। इसमें विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित महिलाओं और लड़कियों के साथ इस तरह के व्यवहार को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इस तरह की सभी घटनाओं पर तुरंत रोक लगाए जाने की जरूरत है।
‘जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगाने की जरूरत’
विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान को संधियों के अनुरूप अपने दायित्वों को बनाए रखना होगा। साथ ही जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगाने की जरूरत है। एक्सपर्ट्स ने इस्लामाबाद को ऐसे समय फटकार लगाई है जब खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को गिरा दिया गया। साथ ही उस स्थान पर वाणिज्यिक परिसर का निर्माण शुरू हो गया है, जो 1947 से बंद था जब इसके मूल निवासी भारत चले गए थे। ‘खैबर मंदिर’ खैबर जिले के सीमावर्ती शहर लैंडी कोटाल बाजार में स्थित था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा था। इस स्थान पर निर्माण करीब 10-15 दिन पहले शुरू हुआ था।
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