वॉशिंगटन। भारत (India) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) के नियम लागू हो गए हैं। इस पर हिंदू अमेरिकी समूहों (Hindu-American organization) ने कहा कि सीएए का लंबे समय से इंतजार था और यह अमेरिका में शरणार्थियों के लिए किए गए लॉटेनबर्ग संशोधन को ही दर्शाता है।
यह है सीएए
नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी। ऐसे अल्पसंख्यक, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों।
काफी लंबे समय से इंतजार था: सुहाग शुक्ला
हिंदू अमेरिकी संगठन की कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने कहा कि भारत में सीएए का काफी लंबे समय से इंतजार था और इसे लागू करने की आवश्यकता भी थी। इससे शरणार्थियों को सुरक्षा मिलेगी। इसके लागू होने से उन लोगों को मानवधिकार मिल सकेगा, जिन्हें अपने देश में इससे वंचित रखा गया था। साथ ही उनके जीवन का पुनर्निर्माण शुरू करने के लिए नागरिकता के लिए स्पष्ट मार्ग की आवश्यकता होती है।
एचएएफ ने एक बयान जारी कर कहा कि कभी कभी सीएए को लेकर गलत जानकारी दी जाती हैं। सीएए किसी भी भारतीय नागरिक के अधिकारों में बदलाव नहीं करता है और न ही यह सामान्य आव्रजन के लिए जांच स्थापित करता है। साथ ही मुसलमानों को भी भारत में आने से नहीं रोकता है।
शुक्ला ने कहा, ‘सन् 1990 से अमेरिका में लॉटेनबर्ग संशोधन लागू है, सीएए उसी का ही प्रतिबिंब है। इससे उन चुनिंदा देशों के लोगों को रहने के लिए एक जगह मिलती है, जहां धार्मिक उत्पीड़न बड़े पैमाने पर होते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रों अमेरिका और भारत को उन लोगों की आजादी और नए जीवन के लिए मार्ग प्रशस्त करके आशा की किरण के रूप में देखने पर गर्व महसूस कर रही हूं, जिन्हें केवल अपने धर्म के कारण मानवाधिकार उल्लंघन का सामना करना पड़ा है।’
31,000 धार्मिक अल्पसंख्यकों को मिलेगी नागरिकता: प्रसाद
कोएलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका की पुष्पिता प्रसाद ने कहा कि यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के लिए एक बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि सीएए का भारत में रहने वाले लोगों पर कोई असर नहीं होगा। यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न का सामना करके आए करीब 31,000 धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा।
प्रसाद ने कहा, ‘उदाहरण के तौर पर हम देख सकते हैं कि हर साल अकेले पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की एक हजार से अधिक नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है। उनका जबरन धर्मांतरण किया जाता है। पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के समर्थन से उनके अपहरणकर्ताओं से शादी कर दी जाती है। नतीजतन, छोटे बच्चों के साथ डरे हुए परिवार बुनियादी सुरक्षा के लिए भारत भाग रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘कोहना ने 2020 में सीएए पर एक शिक्षा और वकालत अभियान चलाया था, जिसमें इस विषय पर फर्जी प्रचार का मुकाबला किया गया था, जिसमें आठ शहरों ने प्रस्ताव पारित किए थे। गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए, हम अमेरिका और कनाडा के निवासियों से खुद को और उनके आसपास के लोगों को शिक्षित करने का आग्रह करते हैं।
मैरी मिलबेन ने पीएम मोदी की सराहना की
अफ्रीकी-अमेरिकी गायिका मैरी मिलबेन ने इसे शांति की ओर एक मार्ग के रूप में बताया। उन्होंने कहा, ‘यह सच्चा लोकतांत्रिक कार्य है।’ उन्होंने कहा कि एक ईसाई, धार्मिक महिला और धार्मिक स्वतंत्रता की वैश्विक पैरोकार होने के नाते मैं मोदी सरकार की सीएए लागू करने के लिए सराहना करती हूं। इससे अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में आए गैर मुस्लिम प्रवासियों, ईसाइयों, हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों और पारसियों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।
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