भोपाल। राजधानी में शनिवार शाम आइएएस अफसर नियाज खान की पुस्तक ब्राम्हण द ग्रेट के हिंदी वर्जन का विमोचन किया गया। यहां नियाज खान ने बताया ये उनका 8वां उपन्यास है और श्रीकृष्ण भी यशोदा जी की 8वीं संतान थे, इससे अच्छा कोई संयोग नहीं हो सकता। नियाज ने बताया कि ब्राम्हण द ग्रेट के अंग्रेजी वर्जन का पूरे भारत में बहुत अच्छा फीडबैक रहा है। भारत के हर कोने से लोगों ने सराहा है और एक लेखक के तौर में मेरा मकसद भी यही था कि यह किताब ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। मुझे नहीं पता था कि यह बुक इतनी चर्चा में आ जाएगी। मैं रिटायरमेंट के बाद पूरे देश में इस किताब को लेकर जरूर घूमूंगा।
अगर इस धरती को बचाना है तो सभी को शाकाहार की ओर लौटना पड़ेगा। मैं पूरे खानदान में अकेला शाकाहारी हूं, मुझे आप इस मामले में ब्राम्हण या जैन समझ सकते हैं। घर में मेरे बर्तन भी अलग हैं। जानवरों को मार कर खाना इस देश की कभी रीति नहीं रही है। ब्राम्हण द ग्रेट इन्ही सब मुद्दों पर चोट है। जरूरी नहीं है कि यह किताब कोई ब्राम्हण ही पढ़े। ये हर धर्म के लोग पढ़े इसमें सीखने समझने के लिए ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जो अपने व्यक्तित्व में उतारी जा सकती हैं। कश्मीर में इतने पंडितों को मारा काटा गया पर ज्यादातर पंडितों ने अपना धर्म नहीं छोड़ा और यही है ब्राम्हण द ग्रेट की परिभाषा।
सनातन द ग्रेट भी टाइटल रखता तो गलत नहीं होता
नियाज ने कहा कि ब्राम्हण त्याग का प्रतीक है। वह पूरी तरह से धर्म में लगा हुआ है। महान वही है, जिसने त्याग किया हो। इसलिए भी मेरी किताब का नाम मैंने ब्राम्हण द ग्रेट रखा है। अगर सनातन द ग्रेट नाम भी रखता तो मैं समझता हूं कि यह गलत नहीं होता। सदियों से ब्राम्हण अच्छे सुझाव देते आए हैं बल्कि मरने के बाद भी हम ब्राम्हणों को ही याद करते हैं।
संत, साधु, ब्राम्हण, सिपाही हैं सुपरस्टार, गुटखा का प्रचार करने वाले नहीं
आजकल हर जगह पाश्चात्य सभ्यता का ही बोलबाला नजर आता है और मुझे ऐसा लगता है कि भारत में इसका सबसे बड़ा कारण बॉलीवुड है जिसने भारत के युवाओं को और धर्मों को आड़े लिया है। सुपरस्टार तो वो है जिसने अपने धर्म के खिलाफ आवाज उठाई हो। जिसने अपनी सभ्यता की रक्षा की हो। सुपरस्टार तो वो संत, साधु, ब्राम्हण, सिपाही हैं जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी धर्म और देश के नाम कर दी हो। गुटखा, बीड़ी तंबाकू का जो प्रमोशन करे वो सुपरस्टार नहीं हो सकता है। समय आ गया है कि सुपरस्टार की परिभाषा बदली जाए और पाश्चात्य सभ्यता का बहिष्कार किया जाए। एक गरीब ब्राम्हण ही हमेशा सुपरस्टार रहेगा। ब्राम्हणों को और सनातन धर्म को मानने वालों को बॉलीवुड का विरोध करना चाहिए।
अरब के शेख मेरे मॉडल नहीं हो सकते
सभी को अपने धर्म का पालन करना चाहिए। अरब वाले शेखों को अपना मॉडल बनाने की जरूरत नहीं है जो सोने के टॉयलेट का प्रयोग करे ऐसे शेखों को मैं नहीं मानता। आप ने कभी सुना है कि कोई भी धर्म में धरती को मां कहा गया हो। हिंदू धर्म के अलावा किसी भी धर्म ने धरती के लिए नहीं सोचा। एनवायरमेंट के लिए अगर हम इसी तरह एयर कंडीशनर, ऑटोमोबाइल, हवाई जहाजों का प्रयोग करते रहे और वन काटते चले गए तो हम अगली जेनरेशन के लिए क्या छोड़ कर जाएंगे। रिटायरमेंट के बाद मैं पूरी तरीके से कोशिश करूंगा कि हवाई यात्राएं बंद कर दूं। दिखावे के मॉडल से निकलना पड़ेगा। अगर हम नहीं सोचेंगे तो आगे जाकर हमारे देश में भी पानी पेट्रोल पंप की तरह बिकेगा।
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