नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) शनिवार को यहां राजभाषा हीरक जयंती समारोह (Official Language Diamond Jubilee Celebration) और चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन (All India Official Language Conference) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे। हिंदी के राजभाषा बनने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 14-15 सितंबर को भारत मंडपम (Bharat Mandapam) में यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, शाह इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का (Commemorative postage stamps and coins) जारी करने के अलावा ‘राजभाषा भारती’ पत्रिका के हीरक जयंती विशेषांक का भी लोकार्पण करेंगे। गृह मंत्री राजभाषा गौरव और राजभाषा कीर्ति पुरस्कार भी प्रदान करेंगे।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय का राजभाषा विभाग 2021 से हर वर्ष अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलनों का आयोजन कर रहा है।
हीरक जयंती विशेषांक का होगा लोकार्पण
गृह मंत्री राजभाषा हीरक जयंती के अवसर पर विशेष रूप से तैयार किए गए ‘राजभाषा भारती’ पत्रिका के हीरक जयंती विशेषांक का लोकार्पण करेंगे। अमित शाह हीरक जयंती को यादगार बनाने के लिए एक स्मारक डाक टिकट और स्मारक सिक्के का लोकार्पण भी करेंगे। वे राजभाषा गौरव तथा राजभाषा कीर्ति पुरस्कार भी प्रदान करेंगे। साथ ही कुछ और पुस्तकों व पत्रिकाओं का लोकार्पण किया जाएगा। इस अवसर पर गृह मंत्री, भारतीय भाषा अनुभाग का भी शुभारंभ भी करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार हिंदी और भारतीय भाषाओं के विकास और उनके बीच बेहतर तालमेल पर जोर देते रहे हैं। संविधान के मंतव्य और प्रधानमंत्री के निर्देश को ध्यान में रखते हुए, हिंदी के साथ भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा देने और उनके बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से, गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना किए जाने का प्रस्ताव रखा था।
बृहद स्तर पर हिंदी दिवस आयोजन की थी संकल्पना
गृह मंत्री ने वर्ष 2019 में देश के विभिन्न शहरों में बृहद स्तर पर हिंदी दिवस आयोजित करने की संकल्पना की थी। इसी संकल्पना को साकार करते हुए वर्ष 2021 में वाराणसी में हिंदी दिवस और पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किया गया। उसके बाद 2022 में सूरत और 2023 में पुणे में हिंदी दिवस और दूसरा तथा तीसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किया गया। इन आयोजनों से देश भर के राजभाषा कार्मिकों और अधिकारियों में नव ऊर्जा का संचार हुआ है। देश की राजधानी में हिंदी दिवस और चतुर्थ अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन इस मायने में भी विशेष है कि राजभाषा विभाग इस अवसर को हीरक जयंती के रूप में मना रहा है। हिंदी के राजभाषा बनने की 75 वर्ष की यात्रा ने न केवल कई महत्वपूर्ण पड़ाव पार किए हैं, बल्कि तकनीक के क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति भी की है।
सम्मेलन में हिंदी की प्रगति पर होगा गहन विचार-मंथन
दो दिन के चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में 75 वर्षों में राजभाषा, जनभाषा और संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की प्रगति पर गहन विचार-मंथन होगा। सम्मेलन के पहले दिन 14 सितंबर को मध्याहन भोजन के बाद सत्र में ‘राजभाषा हीरक जयंती- 75 वर्षों में राजभाषा, जनभाषा और संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की प्रगति’ पर विचार विमर्श होगा। दूसरा सत्र ‘भारत की सांस्कृतिक विरासत और हिंदी’ होगा, जिसे लोकप्रिय हिंदी कवि एवं व्याख्याता डॉ. कुमार विश्वास संबोधित करेंगे। 15 सितंबर को सम्मलेन के तीसरे सत्र में ‘भाषा शिक्षण में शब्दकोश की भूमिका एवं देवनागरी लिपि का वैशिष्ट्य’ में देश के प्रसिद्ध भाषाविद् और कोशकार अपनी बात रखेंगे। अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का चौथा सत्र ‘तकनीक के दौर में राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन में ‘नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति’ के योगदान’ पर होगा।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री कार्यक्रम को करेंगे संबोधित
पांचवां सत्र ‘भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023: एक परिचर्चा’ पर होगा जिसे केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल संबोधित करेंगे। अंतिम सत्र ‘हिंदी भाषा के विकास का सशक्त माध्यम भारतीय सिनेमा’ होगा, जिसे प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर और जाने माने फिल्म निर्माता एवं निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी संबोधित करेंगे। उद्घाटन सत्र में राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बंडी संजय कुमार, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब एवं समिति के अन्य सदस्यगण, भारत सरकार के सचिव, विभिन्न बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, दक्षिण भारत के दो हिंदी विद्वान प्रो. एम गोविंदराजन और प्रो. एस आर सर्राजु तथा हिंदी जगत के दो विशिष्ट विद्वान प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित और डॉ. हरिओम पंवार उपस्थित रहेंगे। दो दिवसीय सम्मेलन में दस हज़ार से अधिक प्रतिभागियों के भाग लेने की संभावना है। इनमें देश भर के राजभाषा कर्मियों के साथ-साथ हिंदी के विद्वान और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
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