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    हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी प्रमुख को घेरा, लगाए कई आरोप, बुच दंपति ने दिए सिलसिलेवार जवाब

  • August 12, 2024

    नई दिल्‍ली । हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) एक बार फिर सुर्खियों में है। पिछली बार अडानी समूह को घेरने के बाद इस बार सीधा बाजार नियामक सेबी को घेरा है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी (American Short Seller Company) हिंडनबर्ग रिसर्च ने रविवार को सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच (SEBI chief Madhabi Puri Buch) के वीकेंड के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें बुच शॉर्ट-सेलर पर उनके “चरित्र हनन” का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था। अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में हिंडनबर्ग ने कहा कि बाजार नियामक बॉस की प्रतिक्रिया “कई नए महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है। और इसमें कई महत्वपूर्ण स्वीकारोक्ति शामिल हैं।” सेबी प्रमुख माधबी और उनके पति धवल ने कहा कि हिंडनबर्ग की अडानी पर पिछली रिपोर्ट के संबंध में नियामक द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब में चरित्र हनन का हिंडनबर्ग सहारा ले रहा है।

    रविवार को हिंडनबर्ग के आरोपों पर माधबी बुच ने कहा था कि भारत में कई तरह के नियामकीय उल्लंघनों के लिए हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, लेकिन इसका जवाब देने के बजाय कंपनी ने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला बोला है। सेबी ने भी बयान जारी कर आरोपों को खारिज कर दिया।

    अडानी समूह के खिलाफ 26 में से 24 जांच पूरी
    बाजार नियामक सेबी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष जनवरी में दिए गए आदेश में स्वयं उल्लेख किया था कि अडानी समूह के खिलाफ 26 में से 24 जांच पूरी हो चुकी हैं। सेबी कहा कि मार्च में एक और जांच पूरी हो गई है तथा अंतिम जांच अब पूरी होने वाली है। नियामक ने कहा कि उसने अपनी जांच के तहत जानकारी मांगने के लिए 100 से अधिक समन, करीब 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं। करीब 12,000 पन्नों वाले 300 से अधिक दस्तावेजों की जांच की गई है।

    उधर, सेबी प्रमुख माधबी बुच ने कहा कि इस संबंध में सभी आवश्यक खुलासे पिछले कुछ वर्षों में सेबी को दिए जा चुके हैं। हमें किसी भी सक्षम प्राधिकार के समक्ष कोई भी वित्तीय दस्तावेज, यहां तक कि सभी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसने जवाब देने के बजाए चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है।


    हिंडनबर्ग के चार बड़े आरोप और बुच दंपति के सिलसिलेवार जवाब
    आरोप-1 : सेबी प्रमुख अडानी समूह के साथ मिली हुई हैं। यही कारण है कि कई सबूत होने के बाद भी सेबी ने अडानी समूह पर सीधी कार्रवाई नहीं की।

    जवाब : इस पर सेबी का कहना है कि उसने अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की विधिवत जांच की है। उसकी 26 जांचों में से अंतिम जांच अब पूरी होने वाली है। सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने समय-समय पर संबंधित जानकारी दी और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग रखा।

    आरोप-2 : सेबी प्रमुख और उनके पति धवल बुच के पास उस विदेशी कोष में हिस्सेदारी है, जिसका इस्तेमाल अडानी समूह में धन की कथित हेराफेरी के लिए किया गया था। बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। इसका नियंत्रण समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी करते थे।

    जवाब : इस पर माधुबी बुच और उनके पति का कहना है कि जिस निवेश की बात की जा रही है, वो वर्ष 2015 में किया गया था, जब वो निजी नागरिक के रूप में सिंगापुर में रह रहे थे। ये निवेश भी माधवी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से दो साल पहले यह निवेश किया गया था। बुच ने धवल के बचपन के दोस्त अनिल आहूजा की सलाह पर दो फंडों में निवेश करने का फैसला किया था। आहूजा वह व्यक्ति हैं, जिन्हें हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने मॉरीशस स्थित आईपीई प्लस फंड के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी के रूप में पहचाना है।

    आरोप-3 : सेबी प्रमुख ने ने अपने पति धवल बुच के अमेरिकी कंपनी ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार रहते हुए रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटीएस) नियमों में बदलाव किया था। आरोप ये हैं कि उन्होंने इन कंपनियों को फायदा पहुंचाया है.

    जवाब : इस पर बुच दंपति ने कहा कि यह नियुक्ति आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में उनकी गहरी विशेषज्ञता के कारण की गई थी और यह नियुक्ति माधवी के सेबी चेयरपर्सन बनने से पहले की है। इसके साथ ही दंपति ने कहा कि 2019 से ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार धवल निजी इक्विटी फर्म के रियल एस्टेट पक्ष से नहीं जुड़े हैं।

    आरोप-4 : सिंगापुर की सलाहकार फर्म एगोरा पार्टनर्स में माधबी बुच का 99% हिस्सा है। सेबी प्रमुख बनने के बाद उन्होंने अपनी हिस्सेदारी पति को ट्रांसफर की। इस कंपनी को फाइनेंशियल स्टेटमेंट डिस्क्लोज करने से पूरी छूट थी, इसलिए इस बात का पता नहीं चल पाया है कि इस कंपनी ने उनकी क्या कमाई होती थी

    जवाब : माधबी बुच ने दो सलाहकार कंपनियों को स्थापित किया गया था,जब वो सिंगापुर में रहती थीं। इसमें से एक भारत में थी, वहीं दूसरी सिंगापुर में थी। माधबी की सेबी में नियुक्ति के साथ ही इन दोनों कंपनियों को निष्क्रिय कर दिया गया। इन दोनों कंपनियों और उनकी हिस्सेदारी की सभी जानकारी सेबी को उसी समय दे दी गई थीं।

    हिंडनबर्ग को सेबी ने दिया था नोटिस
    गौरतलब है कि सेबी ने अडानी समूह मामले में इसी साल 27 जून को हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें समूह के शेयरों पर दांव लगाने में कथित उल्लंघन को लेकर हिंडनबर्ग द्वारा किए दावों पर सवाल उठाए गए हैं। सेबी का कहना था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया गया और इसका मकसद लोगों को गुमराह करना था। हिंडनबर्ग ने इस नोटिस को बेतुका और धमकाने का प्रयास करार दिया था।

    हमारे खिलाफ आरोप निराधार : अडानी समूह
    हिंडेनबर्ग की इस रिपोर्ट के विरोध में अडानी समूहने रविवार को बयान जारी किया। उसने कहा कि एक ही झूठ को दोबारा परासने की कोशिश में लगाए गए इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। इन आरोपो की पहले जांच की जा चुकी है, वे निराधार साबित हुए हैं। इन आरोपों को उच्चतम न्यायालय ने जनवरी 2024 में खारिज कर दिया था। हमारी विदेशी होल्डिंग संरचना पूरी तरह से पारदर्शी है, जिसमें सभी प्रासंगिक विवरण नियमित रूप से कई सार्वजनिक दस्तावेजों में दिए गए हैं।

    सुप्रीम कोर्ट में गया था मामला
    माधबी पुरी बुच साल 2022 में सेबी की अध्यक्ष बन गईं थीं। अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की जांच का जिम्मा सेबी को मिला। इस रिपोर्ट की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराई गई थी और उसमें अडानी समूह के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले थे। सेबी ने अपनी जांच में जानकारी दी कि अडानी समूह के शेयरों में सौदे करने वाले 13 फंड का पता कर लिया गया है। इसके अलावा 42 खाता धारकों का पता कर लिया गया है। हालांकि, सेबी इस बात की जानकारी नहीं दे पाया कि इस फंड के पीछे कौन लोग थे, कौन इनको चला रहे थे।

    क्या है पूरा मामला
    हिंडेनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को अदानी समूह पर शेयरों में हेर-फेर और ऑडिटिंग घोटाला करने का आरोप लगाते हुए इसे कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया था। हिंडेनबर्ग ने यह रिपोर्ट उस समय जारी की थी जब अदानी समूह अदानी इंटरप्राइजेज 20 हजार करोड़ रुपये के शेयर खुदरा बिक्री के लिए जारी करने वाली थी। रिपोर्ट के जारी होने के बाद अदानी समूह के लगभग सभी कंपनियों के शेयरों में भूचाल आ गया था। हालांकि, बाद में सेबी ने उन्हें क्लीनचिट दी थी।

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