नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को आए पूरे 9 महीने बीत चुके हैं. इसमें दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप की वैल्यूएशन 85 फीसदी तक गिर जाएगी. ग्रुप की एक कंपनी की वैल्यूएशन सोमवार को 85 फीसदी तक डूब गई और हिंडनबर्ग रिसर्च की भविष्यवाणी मानों सच ही हो गई. वैसे इन 9 महीनों में अडानी ग्रुप की दो कंपनियां ऐसी भी रहीं जो पूरी तरह से रिकवर भी हुईं और 24 जनवरी 2023 के लेवल पर आ गई हैं. लेकिन 8 कंपनियों की वैल्यूएशन पर बात करें तो वे अभी भी काफी नुकसान में हैं.
आंकड़े दिखाते हैं कि कैसे इन 8 कंपनियों से अडानी ग्रुप को 9.42 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. दो कंपनियां ऐसी हैं, जिनके शेयरों में 70 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है. हालातों से समझा जा सकता है कि 9 महीने बाद भी कंपनियों का हाल काफी बुरा है. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर 9 महीने में अडानी की 8 कंपनियों का कैसा हाल है?
अडानी ट्रांसमिशन 70 फीसदी से ज्यादा डूबी
सिर्फ अडानी टोटल ही नहीं बल्कि अडानी ट्रांसमिशन का भी काफी बुरा हाल है. 24 फरवरी के बाद से कंपनी के शेयर में 73 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. सोमवार को भी कंपनी के शेयर में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी और 734 रुपए के लोअर लेवल पर गई. वहीं अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर भी 9 महीने में 33 फीसदी से ज्यादा नीचे आया है. अडानी ग्रीन का शेयर भी 54 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. अडानी विल्मर का शेयर भी 9 महीने में 44 फीसदी से ज्यादा कम हुआ है. सीमेंट कंपनियों का भी काफी बुरा हाल है. 9 महीनों में कंपनियों का शेयर 18 से 20 फीसदी टूट चुका है. एनडीटीवी के शेयर में भी 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
वहीं दूसरी ओर अडानी पोर्ट एंड एसईजेड और अडानी पॉवर के शेयर 9 महीने में पॉजिटिव दिखाई दिए हैं. दोनों कंपनियों का शेयर 24 फरवरी के लेवल से मामूली ऊपर गए हैं. जहां अडानी पोर्ट का शेयर गिरावट के बाद भी 766.20 रुपये के लोअर लेवल पर गया. जबकि 24 फरवरी को कंपनी का शेयर 760.85 रुपए पर बंद हुआ था. वहीं अडानी पॉवर के शेयर में 9 महीने में कम से कम 14 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. 24 फरवरी को कंपनी का शेयर 274.80 रुपए पर बंद हुआ था और सोमवार को कंपनी का शेयर 314.05 रुपए के साथ दिन के लोअर लेवल पर गया.
8 कंपनियों से 9.42 लाख करोड़ का नुकसान
अडानी पॉवर और अडानी पोर्ट के डाटा को ना भी एड करें तो अडानी ग्रुप को सिर्फ 8 कंपनियों से 9.42 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. 24 फरवरी को इन 8 कंपनियों का ज्वाइंट मार्केट कैप 16,48,048.74 करोड़ रुपए था. जोकि कम होकर 7,05,536.28 करोड़ रुपए पर आ गया है. इसका मतलब है इन 9 महीनों में इन आठ कंपनियों के मार्केट में 9,42,512.46 करोड़ रुपए की गिरावट आ चुकी है. अडानी टोटल गैस की हैसियत में 3.64 लाख करोड़ रुपए की कमी आ चुकी है. अडानी ट्रांसमिशन का मार्केट कैप 2,25,569.41 करोड़ रुपए कम हो चुका है. अडानी इंटरप्राइजेज के एम कैप में 1,28,708.42 करोड़ रुपए की गिरावट आ चुकी है. नीचे दी गई टेबल में आप साफ देख सकते हैं कि आखिर आठ कंपनियों के हैसियत में 9 महीनों में कितनी गिरावट देखने को मिल चुकी है.
इन कंपनियों के मार्केट कैप में इजाफा
वहीं दूसरी ओर अडानी पोर्ट और अडानी पॉवर के शेयरों में निवेशकों में ज्यादा भरोसा दिखाया है. जिसकी वजह से दोनों कंपनियों के शेयर 9 महीने के हाई पर पहुंच गए हैं. जिसकी वजह से दोनों कंपनियों के मार्केप में इजाफा देखने को मिला है. अडानी पॉवर का मार्केट कैप 24 फरवरी को 1,05,988.68 करोड़ रुपए था. जबकि सोमवार को गिरावट के साथ जब कंपनी का शेयर लोअर लेवल पर आया तो अडानी पॉवर का मार्केट कैप 1,21,127.16 करोड़ रुपए पर खड़ा था. इसका मतलब है सोमवार को कंपनी का मार्केट कैप 9 महीने के बाद दिन के लोअर लेवल के साथ 15,138.48 करोड़ रुपए ज्यादा था. अडानी पोर्ट में 9 महीने में मामूली तेजी देखने को मिली है. 24 फरवरी के मार्केट कैप के मुकाबले अडानी पोर्ट के मार्केट कैप में कम से कम 1,155.68 करोड़ रुपए की तेजी देखने को मिली है.
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