नई दिल्ली (New Delhi) । कॉलेजियम (collegium) के तहत हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के दो जिला न्यायाधीशों (District Judges) ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। दोनों न्यायाधीशों ने अपने नामों पर विचार किए जाने की मांग की है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि हाईकोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह को भी नजरअंदाज किया है और जूनियर्स के नामों को आगे बढ़ाया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, बिलासपुर और सोलन के जिला न्यायाधीश चिराग भानू और अरविंद मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। इस याचिका के जरिए उन्होंने शीर्ष न्यायालय से 4 जनवरी के प्रस्ताव के अनुसार हाईकोर्ट कॉलेजियम को उनके नामों पर दोबारा विचार करने निर्देश जारी करने की मांग की है।
दोनों न्यायाधीशों का कहना है कि उनके नामों पर दोबारा विचार करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री का भी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र गया था। इस पत्र के जरिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सिंह और मल्होत्रा के नामों पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया गया था। न्यायाधीशों का कहना है कि कानून मंत्री के पत्र और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह को दरकिनार कर दिया।
खास बात है कि बीते साल 12 जुलाई को हाईकोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम ने सिंह और मल्होत्रा के नामों की सिफारिश की थी। खबर है कि इसे शुरू में रोक दिया गया था। 4 जनवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले कॉलेजियम ने उनके नामों पर दोबारा विचार के लिए एचसी कॉलेजियम को भेजा।
अब याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हाईकोर्ट कॉलेजियम ने उनके नामों को जानबूझकर हटा दिया है। साथ ही दावा किया है कि उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए दो ‘अयोग्य जूनियर अधिकारियों’ के नामों की सिफारिश हाईकोर्ट जज के तौर पर की है।
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