नई दिल्ली (New Dehli)। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu)की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections)में पार्टी विधायकों की क्रॉस वोटिंग (Cross voting of MLAs)के बाद प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Government Minister Vikramaditya Singh)के इस्तीफे से सरकार की स्थिरता को खतरा पैदा हो गया है। हालात की नजाकत को समझते हुए पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कर्नाटक सरकार में उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को शिमला भेजा है। ये दोनों पर्यवेक्षक सभी विधायकों से बातकर गुरुवार शाम तक अपनी रिपोर्ट देंगे।
कांग्रेस को फिलहाल अपनी सरकार पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है। विधायकों की ज्यादा नाराजगी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को लेकर है। सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी के बाहरी होने से ज्यादा प्रदेश इकाई में अंदरुनी कलह और मुख्यमंत्री के खिलाफ असंतोष बड़ी वजह रही। इसलिए, पर्यवेक्षकों के विधायकों के साथ बातचीत करने से पहले पार्टी ने सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया कि सभी विकल्प खुले हुए हैं।
पार्टी कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि व्यक्ति अहम नहीं है, पार्टी महत्वपूर्ण है। जनादेश का सम्मान करने के लिए पार्टी कड़े कदम उठाने में कोई संकोच नहीं करेगी। दरअसल, पार्टी को अहसास है कि इस स्थिति से तत्परता से नहीं निपटा गया, तो वह उत्तर भारत में अपनी इकलौती सरकार खो देगी। इसलिए, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने इस मुद्दे पर पार्टी विधायकों और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है।
प्रियंका ने की विक्रमादित्य सिंह से बात
सूत्रों का कहना है कि विक्रमादित्य सिंह ने भी प्रियंका गांधी वाड्रा से बात की है। उन्होंने अपने गुट के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की है। विक्रमादित्य प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। विक्रमादित्य ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। रणनीतिकार मानते हैं कि प्रदेश सरकार को बरकरार रखने के लिए विक्रमादित्य को साथ रखना जरुरी है। इसलिए, मंत्री पद से उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है।
बागी विधायकों का दावा: 26 विधायक सुक्खू से नाराज
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोंटिग करने वाले विधायकों का दावा है कि कांग्रेस के 26 विधायक मुख्यमंत्री सुक्खू से नाराज हैं। यह विधायक चाहते हैं कि मुख्यमंत्री को बदला जाए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। यही वजह है कि पार्टी क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों का पक्ष सुनने के लिए भी तैयार है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह विधायक वापस नहीं लौटते हैं, तो उनकी सदस्यता खत्म की जा सकती है।
सदस्यता खत्म करना आखिरी विकल्प होगा
क्रॉस वोटिंग करने वाले इन छह विधायकों की सदस्यता खत्म करना आखिरी विकल्प होगा। क्योंकि, इनकी सदस्यता खत्म होते ही विधानसभा में बहुमत का अंतर कम हो जाएगा। इनकी सदस्यता खत्म होने पर विधानसभा में कुल 62 सदस्य रह जाएंगे और बहुमत का आंकड़ा 32 होगा। वहीं, कांग्रेस के पास सिर्फ 34 सदस्य और भाजपा के पास तीन निर्दलीय सहित 28 विधायक होंगे। पार्टी फिलहाल इस स्थिति से बचने का प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री बदलने के संकेत
सरकार बरकरार रखने के लिए पार्टी ने मुख्यमंत्री बदलने के संकेत दिए हैं। ऐसी स्थिति में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान और धनीराम शांडिल्य सहित कई नामों पर विचार किया जा सकता है। पार्टी नेता मानते हैं कि मुख्यमंत्री बदलने की स्थिति में नए मुख्यमंत्री के साथ विक्रमादित्य सिंह को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके साथ एक उप मुख्यमंत्री सुक्खू गुट की तरफ से भी हो सकता है।
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