शिमला। प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ 9.6 फीसद की दर से बढ़ रहा है। कर्ज का बोझ बढ़ने के मुकाबले बेशक राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि की दर थोड़ा अधिक है, बावजूद इसके सरकार को केंद्र से मिलने वाली मदद के साथ साथ केंद्रीय करों में प्रदेश की हिस्सेदारी के एवज मिलने वाली राशि पर विकास कार्यों व खर्चों को पूरा करने के लिए निर्भर रहना पड़ रहा है। राज्य विधानसभा में सोमवार को पेश की गई माली साल 2018-19 की रिपोर्ट का यही लब्बो लुवाब है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोमवार को प्रदेश विधानसभा में नियंत्रक महालेखा परीक्षक की साल 2018-19 की रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने प्रदेश में बढ़ते कर्जों के बोझ पर चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014-15 में प्रदेश सरकार के लोक ऋण 25729 करोड़ थे। लोक ऋण की यह राशि साल 2018-19 में बढ़ कर 36425 करोड़ हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋणों की औसत बढ़ोतरी 9.60 फीसद है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 के 59 फीसद के मुकाबले 2018-19 में यह बढ़ कर 65 प्रतिशत हो गया। 2018-19 में लोक ऋणों की राशि में पांच फीसद इजाफे की बात रिपोर्ट में कही गई है।
एक ओर सरकार की ऋण लेने की रफ्तार तेजी से बढ रही है, दूसरी ओर दस सालों में बाजार ऋणों व उदय बांड के बकाया 26573 करोड़ की राशि में से 25005 करोड़ का भुगतान सरकार को करना है। साथ ही 12521 करोड़ के ब्याज की अदायगी भी सरकार को करनी है। राजस्व प्राप्तियां सीमित होने व केंद्र पर निर्भरता अधिक होने की वजह से सरकार के समक्ष ऋण की इस रकम व ब्याज के भुगतान की चुनौती है।
नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में कम होते राजकोषीय घाटे का उल्लेख किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 के 3870 करोड़ के मुकाबले प्रदेश सरकार का राजकोषीय घाटा साल 2018-19 में घट कर 3512 करोड़ हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-19 में प्रदेश की राजस्व प्राप्तियां इससे पहले के साल के 27367 करोड़ के मुकाबले 30950 करोड़ हुई। इसमें 13 फीसद का इजाफा हुआ। मगर यह प्रदेश की कुल राजस्व प्राप्तियों का महज 33 फीसद ही है। बाकी की 67 फीसद राशि के लिए सरकार केंद्र पर निर्भर है। (एजेंसी, हि.स.)
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