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हिमाचल सरकार को कोर्ट से बड़ा झटका, सभी CPS को हटाने के आदेश, बंद होंगी सरकारी सुविधाएं

November 13, 2024

शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) सरकार को हाई कोर्ट (High Court) से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने सुक्खू सरकार के सभी छह मुख्य संसदीय सचिव (Chief Parliamentary Secretary) को हटाने का आदेश दिया है। सीपीएस की सभी सरकारी सुविधाओं (Government Facilities) को भी तुरंत वापस लेने के आदेश जारी किए गए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सीपीएस को पद से हटाया जाए लेकिन वे विधायक रहेंगे।

जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव (CPS) बनाया था। कल्पना के अलावा राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने भी सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। इनकी याचिका पर ही हाईकोर्ट ने जनवरी महीने में CPS द्वारा मंत्रियों जैसी शक्तियों का उपयोग न करने का अंतरिम आदेश दिया था।

इस मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुकी है और दूसरे राज्यों के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सीपीएस केस के साथ क्लब करने का आग्रह कर चुकी है। मगर, सुपीम कोर्ट ने राज्य सरकार के आग्रह को ठुकराते हुए हाईकोर्ट में ही केस सुनने के आदेश दिए थे।


सीएम सुक्खू ने कांग्रेस के जिन 6 विधायकों को सीपीएस बना रखा है, उनमें रोहड़ू के विधायक एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, ​दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। सरकार इन्हें गाड़ी, दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान वेतन दे रही है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक, किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। हिमाचल विधानसभा में 68 विधायक हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री बन सकते हैं।

याचिका में कहा गया कि हिमाचल और असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट एक जैसे हैं। सुप्रीम कोर्ट असम और मणिपुर में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट को गैरकानूनी ठहरा चुका है। इस बात की जानकारी होने के बावजूद हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपने विधायकों की नियुक्ति बतौर सीपीएस की। इसकी वजह से राज्य में मंत्रियों और सीपीएस की कुल संख्या 15% से ज्यादा हो गई। इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर CPS बने सभी कांग्रेसी विधायकों को व्यक्तिगत तौर पर प्रतिवादी बना रखा है।

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