नई दिल्ली (New Delhi) । लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मंडी सीट (Mandi seat) की खासा चर्चा है. बीजेपी (BJP) ने कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की फील्डिंग करके इस सीट पर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. अब उनके सामने युवा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस (Congress) ने विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) को टिकट दी है. इसका ऐलान उनकी मां और पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने पहले ही कर दिया था.
हिमाचल प्रदेश के मंडी सीट का चुनावी इतिहास भी काफी दिलचस्प है. यह सीट कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के खाते में जाती रही है, लेकिन जीत के लिहाज से कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है. हालांकि, बीजेपी अपनी बड़ी जीत के लिए चर्चित है और पार्टी के उम्मीदवार इस सीट पर जीत का इतिहास रच चुके हैं, जिसे अब तक कोई तोड़ नहीं पाया है. आइए इस रिपोर्ट में हम समझते हैं कि आखिर कांग्रेस विक्रमादित्य को ही मंडी से क्यों टिकट दी है?
मंडी से विक्रमादित्य पर दांव क्यों?
दरअसल, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसका खुलासा हालिया राज्यसभा चुनाव में ही हो गया, जब पार्टी के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी और कांग्रेस राज्य की एकमात्र सीट पर हुआ राज्यसभा चुनाव हार गई. इसके बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के भविष्य पर खतरा बन आया. इस मामले के बाद प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह की वफादारी पर भी सवाल खड़े हुए.
कहा जाता है कि दोनों मां-बेटे की नाराजगी विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर थी, जहां प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह अपने बेटे को हिमाचल के मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहती थीं. वह मंडी सीट से ही सांसद हैं, जहां अब वह यह सीट अपने बेटे को ट्रांसफर कर रही हैं.
सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का अस्तित्व 1 जून के विधानसभा उपचुनाव पर टिका है, जहां छह विधायकों के अयोज्ञ करार दिए जाने के बाद उपचुनाव होने जा रहा है. कांग्रेस उम्मीद में है कि विक्रमादित्य की उम्मीदवारी राज्य इकाई में दरार को पाटने में मददगार साबित होगी. मसलन, मंडी सीट से उनकी उम्मीदवारी राज्य इकाई में गुटबाजी को खत्म तो कर ही सकता है.
साथ ही इससे सुक्खू सरकार में स्थिरता भी आ सकती है, जिससे नेताओं की यूनिटी का विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी को फायदा हो सकता है. गौरतलब है कि, प्रतिभा संह और विक्रमादित्य ने राज्यसभा में विफलता के लिए सीएम सुक्खू को जिम्मेदार ठहराया था. यहां तक कि विक्रमादित्य ने मंत्री के तौर पर इस्तीफा भी दे दिया था लेकिन बाद में हाई कमान के प्रेशर पर इस्तीफा वापस लिया.
मंडी सीट पर कांग्रेस बनाम बीजेपी
प्रतिभा सिंह ने मंडी सीट पर 2004 में बीजेपी के महेश्वर सिंह को 65 हजार वोटों से मात दी थी. कांग्रेस तब केंद्र की सत्ता भी हासिल कर सकी थी. बीजेपी द्वारा कंगना को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद देशभर में मंडी लोकसभा सीट के इतिहास को लेकर भी जिज्ञासा है, जहां अब उन्हें कांग्रेस के युवा नेता विक्रमादित्य सिंह टक्कर देंगे.
मंडी सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को मैदान में उतारा था, जिन्होंने महेश्वर सिंह को 14 हजार वोटों से मात दी थी. हालांकि, 2013 में वीरभद्र सिंह की मृत्यु हो गई और इस सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने यह सीट दोबारा हासिल कर ली. उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने बीजेपी के जयराम ठाकुर को एक लाख वोटों से हराया था.
2014 के ‘मोदी लहर’ में मंडी सीट बीजेपी के खाते में चली गई, जब राम स्वरूप शर्मा ने प्रतिभा सिंह को 40 हजार वोटों से हरा दिया. इस चुनाव में बीजेपी ने राज्य की लोकसभा की चारों सीटें जीत ली थी. इसके बाद 2019 में भी बीजेपी ने जीत दर्ज की और सिटिंग सांसद राम स्वरूम शर्मा ने कांग्रेस के आश्रय शर्मा को चार लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया था.
बाद में राम स्वरूम शर्मा की सांसद रहते मृत्यु हो गई और इस सीट पर फिर से उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने बीजेपी के ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को मात्र 9 हजार वोटों से हराकर जीत दर्ज की. अब प्रतिभा सिंह का कहना है कि उन्होंने सीट से तीन बार जीत दर्ज की है. इस लिहाज से मंडी की जनता कांग्रेस के साथ है और इस सीट पर अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को वह एक मजबूत दावेदार मान रही हैं.
बीजेपी या कांग्रेस, मंडी में किसका दम?
अगर मंडी सीट का चुनावी इतिहास देखें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही समान दावेदारी रखती है, लेकिन जीत के लिहाज से कांग्रेस की दावेदारी ज्यादा मजबूत नजर आती है. हालांकि, असल बात तो हार-जीत के अंतर का है, जहां बीजेपी के उम्मीदवार ने चार लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से भी जीत दर्ज की.
बीजेपी ने बॉलिवुड एक्टर कंगना रनौत को मंडी सीट से उम्मीदवार बनाया है. वह प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी प्रशंसक हैं और हाल के महीनों में काफी एक्टिव भी नजर आईं. कंगना राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी पहुंची थीं. महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के दौरान अपनी बयानबाजी और उनपर कथित कार्रवाई के बाद राजनीतिक हलकों में प्रमुख रूप से चर्चा में आई थीं. तब उन्हें केंद्र सरकार ने वाई-प्लस सुरक्षा भी मुहैया कराई थी.
कंगना कहती हैं कि वह सिर्फ एक बॉलिवुड स्टार नहीं हैं बल्कि “एक मुखर और चिंतित नागरिक भी हैं.” उन्होंने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के एक एक्स पोस्ट के जवाब में कहा था कि वह “टुकड़े-टुकड़े गैंग और खालिस्तानी समूहों पर भी अपनी राय रखा करती हैं.” वह कहती हैं कि वह प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनाव लड़ रही हैं और ये कि “हम सभी नरेंद्र मोदी हैं” और आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में उनके लिए लड़ना चाहिए.
मंडी सीट पर हार जीत से क्या बदल जाएगा?
अब चुकी कांग्रेस ने विक्रमादित्य सिंह को मंडी से उम्मीदवार बनाया है और अगर कंगना उन्हें हरा पाने में कामयाब होती हैं तो यह उनके राजनीतिक भविष्य पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा देगा, जो राज्य के मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए हैं. अभी वह शिमला (देहात) से विधायक हैं और सुक्खू सरकार में मंत्री भी हैं. वहीं इस चुनाव में जीत के साथ एक ‘फिल्ममेकर, राइटर और प्रोड्यूसर’ कंगना रनौत राजनेता के तौर पर भी खुदको स्थापित कर सकेंगी.
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