नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी (congress party) में एक कल्चर रहा है। आलाकमान के करीबियों (high command close) को सत्ता की चाबी मिलती रही है। हिमचाल के नतीजे (Himachal results) सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (former Chief Minister Virbhadra Singh) की पत्नी प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) के सीएम बनने के दावे काफी मजबूत माने जा रहे थे। उनके समर्थकों ने 25 विधायकों के समर्थन का दावा भी किया था। हालांकि, विधायक दल ने गेंद आलाकमान के पाले में डाल दिया। फैसला अब कांग्रेस अध्यक्ष करना था। नए नवेले अध्यक्ष ने प्रतिभा सिंह के दावे को नजरअंदाज कर तीन बार के विधायक रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) को सीएम बनाकर हिमाचल में रिवाज बदल दिया और कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक संदेश दिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने साफ कर दिया कि आम परिवार से आने वाले और संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को पूरी तरजीह दी जाएगी। छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद बनी खाई को भरना और विधायक दल के नेता के नाम पर सहमति बनाना आसान नहीं था। लेकिन, प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के प्रभाव वाले मंडी जिले में दस में से सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस की जीत ने मुख्यमंत्री पद के लिए उनका दावा कमजोर कर दिया।
दूसरी तरफ, सुक्खू के हमीरपुर जिले की पांच में से चार पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई। हमीरपुर पूर्व मुखमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृह जिला है। ऐसे में पार्टी की जीत से सुक्खू का दावा मजबूत हुआ। सुक्खू खुद भी हमीरपुर की नदौण से विधायक हैं।
दो नाम पूछे थे
पार्टी सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार रात हुई विधायक दल की बैठक में सभी नवनिर्वाचित विधायकों से सीएम पद के लिए दो नाम पूछे गए थे। इसके साथ उनकी अच्छाई और कमियों के बारे में पूछा गया था। ज्यादातर विधायकों ने सुक्खू के नाम पर मुहर लगाई। यह संख्या आधे विधायकों से ज्यादा थी। पार्टी को चुनाव में 40 सीट मिली है।
ये भी वजह रही
प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का सांसद होना भी सुक्खू के लिए फायदेमंद साबित हुआ। पार्टी प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करती तो किसी एक विधायक को इस्तीफा देना पड़ता। ऐसे में एक साथ लोकसभा और विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होते। पार्टी उपचुनाव का कई जोखिम नहीं लेना चाहती थी, क्योंकि पार्टी एक भी सीट हार जाती तो जीत का माहौल बिगड़ सकता था। इसके साथ प्रतिभा सिंह या उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को मुख्यमंत्री बनाने से भाजपा को फिर परिवारवाद का मुद्दा मिल जाता। मलिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस यह मौका नहीं देना चाहती थी। इसके पार्टी ने आम परिवार से आने वाले नेता को मौका दिया।
सुक्खू का मजबूत पक्ष
1.आम परिवार से ताल्लुक, जनता पर गहरी पकड़।
2. संगठन में कई पद पर रहे, कार्यकर्ताओं में पैठ।
3.हमीरपुर जिले में ज्यादातर सीट पर पार्टी की जीत।
4.ज्यादा विधायको का समर्थन, कार्यकर्ताओं की पसंद
5. चार दशक से पार्टी में हाईकमान से तालमेल।
प्रतिभा का कमजोर पक्ष
1. मंडी जिले में दस में से कांग्रेस की सिर्फ एक सीट
2. एक साथ दो उपचुनाव होते, पार्टी जोखिम नहीं उठाया
3. परिवारवाद का आरोप लगता, कार्यकर्ताओं में गलत संदेश
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमने 10 सूत्री कार्यक्रम देकर हिमाचल प्रदेश में जीत हासिल की है। हम अच्छे बहुमत से जीते हैं। नए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री रविवार को शपथ लेंगे।
पिता रोडवेज बस के चालक थे
सुक्खू हिमाचल प्रदेश की मौजूदा राजनीति में धुरंधर माने जाने जाते हैं। वह अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य हैं। सुक्खू का जन्म 27 मार्च 1964 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के नदौण में हुआ था। अब सुक्खू कांग्रेस से इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके पिता रसिल सिंह हिमाचल प्रदेश रोडवेज में बस ड्राइवर थे। चार भाई-बहनों में सुखविंदर सिंह सुक्खू दूसरे नंबर पर हैं। बड़े भाई राजीव सेना से रिटायर हैं। दो छोटी बहनों की शादी हो चुकी है। 11 जून 1998 को सुखविंदर सिंह सुक्खू की शादी कमलेश ठाकुर से हुई। इनकी दो बेटियां हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही हैं। माता संसारो देवी 80 वर्ष की हैं। सुक्खू ने नादौन यूनिवर्सिटी से परास्नातक किया। बाद में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की।
छात्र नेता से सीएम तक का सफर
कांग्रेस संगठन में अपनी शुरुआत छात्र विंग एनएसयूआई से की। 1988 से 1995 तक इसके प्रदेश अध्यक्ष रहे। दो बार पार्षद भी बने। अब तक पांच बार विधानसभा का चुनाव लड़ा। इसमें से चार बार जीत हासिल की। पहली बार साल 2002 में नदौण सीट से विधायक चुने गए थे। इसके बाद सुक्खू 2007, 2017, 2022 का चुनाव जीते। 2013 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इस बार चुनाव प्रचार समिति की कमान संभाली।
मुकेश अग्निहोत्री
पत्रकारिता के पेशे से राजनीति में आए मुकेश अग्निहोत्री कांग्रेस की दूसरी पीढ़ी के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं। वे हमेशा वीरभद्र सिंह के सबसे क़रीबी नेताओं में से एक रहे हैं। पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे 60 वर्षीय मुकेश अग्निहोत्री लगातार पाँचवीं बार विधायक बने है. वे लोअर हिमाचल के ऊना ज़िले से आते हैं। साल 2012 से 2017 की कांग्रेस सरकार में मुकेश अग्निहोत्री कैबिनेट मंत्री रहे हैं।
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