शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Elections) में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर (Tough fight between BJP and Congress) देखने को मिल सकती है। दोनों ही दलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती तो उनके बागी नेता (rebel leader) ही खड़े कर रहे हैं। राज्य में इस बार बगावत का मामला इतना गंभीर बन पड़ा है कि सरकार गठन में इसे अहम फैक्टर समझा जा रहा है। अगर किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी के लिए बागियों को अपने साथ लाना आसान होने वाला है।
राज्य की कुल 68 विधानसभा सीटों में से भाजपा के 21 बागी नेताओं ने नामांकन पेपर भरा है। इनमें से कुछ ऐसे मजबूत उम्मीदवार हैं जिन्हें कथित तौर पर पार्टी आलाकमान ने टिकट देने से इनकार कर दिया। इनमें से ही एक कृपाल परमार हैं, जिन्हें एक समय बीजेपी चीफ जेपी नड्डा का करीबी माना जाता था। परमार इस बार कांगड़ा जिले की फतेहपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह आरोप लगाते हैं कि उन्हें टिकट न मिलने के पीछे नड्डा का हाथ है।
फतेहपुर से BJP के खिलाफ परमार की बगावत
भाजपा ने फतेहपुर से परमार की जगह राकेश पठानिया को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस की ओर से भवानी सिंह पठानिया ताल ठोंक रहे हैं। नड्डा ने बीते गुरुवार को फतेहपुर में पार्टी उम्मीदर के समर्थन में चुनावी रैली भी की। मालूम हो कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुछ सीटें कड़े मुकाबले में जीती थीं। भाजपा को कुछ सीटों पर तो एक हजार से कम वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी। ऐसे में एंटी-इंकम्बेंसी और पार्टी नेताओं की बगावत बीजेपी पर भारी पड़ सकती है।
जगजीवन पाल ने कांग्रेस से की बगावत
कांग्रेस भी बागी प्रत्याशियों की समस्या का सामना कर रही है। सुल्लाह सीट से पूर्व विधायक जगजीवन पाल इस बार स्वतंत्र उम्मीदवार हैं, जबकि सुशील कौल जयसिंहपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। पाल दो बार विधायक रहे हैं। वह कांग्रेस उम्मीदवार जगदीश सपेहिया के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं। बीजेपी के मौजूदा विधायक विपिन सिंह परमार ने 2017 के चुनाव में पाल को हरा दिया था। भाजपा ने इस बार भी विपिन को ही यहां से अपना टिकट दिया है।
दोनों ही दलों के सामने बागियों की चुनौती
बात अगर जयसिंहपुर सीट की करें तो कौल कांग्रेस के उम्मीदवार यदविंद्र गोम्मा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। माना जा रहा है कि कौल गोम्मा के वोटों में बड़ी सेंधमारी करेंगे। वहीं, बीजेपी ने इस विधानसभा क्षेत्र से रविंद्र धिमान को अपना उम्मीदवार बनाया है। नड्डा के गृह जिले बिलासपुर में भी पार्टी को बगावत देखने को मिल रही है। बागी सुभाष शर्मा बीजेपी प्रत्याशी त्रिलोक जामवाल के खिलाफ लड़ रहे हैं। जामवाल को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का करीबी माना जाता है। बिलासपुर सीट से कांग्रेस भी तिलक राज के तौर पर बगावती लीडर का सामना कर रही है। जिले की जनदुत्ता सीट से बीरू राम किशोर भी कांग्रेस से बगावत कर चुके हैं।
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