नई दिल्ली। कर्नाटक हिजाब विवाद (hijab controversy) मामले पर सुप्रीम कोर्ट (SC) अपना अंतिम फैसला नहीं सुना पाया है, सुप्रीम कोर्ट (SC) के दोनों ही जजों की राय इस मामले पर अलग-अलग थी। जिसके बाद मामले को बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है, अब हिजाब मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गुप्ता (Justice Gupta in Supreme Court) ने बताया कि हमारे अलग विचारों के चलते मामला चीफ जस्टिस के पास भेज रहे हैं, ताकि वह बड़ी बेंच का गठन करें. वहीं उन्होंने इस याचिका के खिलाफ अपना फैसला दिया, वहीं जस्टिस धूलिया (Justice Dhulia) की राय अलग थी। इस मामले पर 22 सितंबर 2022 को SC ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, तभी से हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा था।
हाईकोर्ट ने दिया था ये फैसला
हिजाब मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने 11 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया था, इस फैसले में साफ किया गया कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य नहीं है ये इस्लामिक परंपरा का हिस्सा नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य करना ठीक है, छात्र इससे इनकार नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं कोर्ट ने सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार भी दिया था, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार के पास शासनादेश जारी करने का अधिकार है।
हिजाब के पक्ष में थी ये दलील
मुस्लिम छात्राओं ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि संविधान में सभी को अपने धर्म के पालन का अधिकार है, साथ ही कहा गया कि हिजाब पहनने से कानून-व्यवस्था को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। जब बाकी धर्मों के लोग क्रॉस या रुद्राक्ष पहन सकते हैं तो हिजाब पर बैन क्यों लगाया जा रहा है। शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म के रंग वाला दुपट्टा पहना जा सकता है। इसमें दुनिया के बाकी देशों का भी तर्क दिया गया था, जहां ऐसे पहनावे को मान्यता दी गई है। याचिका में कहा गया कि सरकार का मकसद एक धर्म को निशाना बनाना है, हिजाब पूरी तरह से आस्था का मामला है।
हिजाब के विरोध में थी ये दलील
हिजाब के विरोध में ये दलील दी गई थी कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य नहीं है, साथ ही कहा गया कि हिजाब यूनिफॉर्म के बाहर नजर आता है, जबकि रुद्राक्ष और बाकी चीजें कपड़ों के नीचे होती हैं। हिजाब से स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई के माहौल पर असर पड़ता है, धर्म के नाम पर अनुशासन तोड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ईरान समेत कई देशों में हिजाब को लेकर संघर्ष जारी है।
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