बेंगलुरु। कर्नाटक (karnataka) में हिजाब मामले (hijab cases) को लेकर परीक्षा का बहिष्कार (boycott the exam) कर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए छात्रों को बड़ा झटका लगा है। सरकार ने ऐसे छात्रों को प्रेक्टिकल एग्जाम में शामिल होने के लिए दूसरा मौका देने से इनकार कर दिया है। राज्य में पीयू 2 के सैकड़ों छात्र विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए थे। 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में वर्दी को लेकर राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखा था।
कर्नाटक में कक्षा 12 को ही पीयू 2 कहा जाता है। खास बात है कि सरकार ने दो दिन पहले ही दोबारा परीक्षा लेने के संकेत दिए थे हालांकि, रविवार को सरकार ने प्रैक्टिल से ‘गायब’ रहे छात्रों के लिए यह विकल्प हटा दिया है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ‘हम इसकी संभावनाओं पर भी कैसे विचार कर सकते हैं?’
उन्होंने आगे कहा, ‘हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश देने के बाद भी अगर उन छात्रों को अनुमति दी जाती है, जो परीक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं मिलने पर प्रैक्टिल्स का बहिष्कार कर रहे थे, तो दूसरे छात्र भी कुछ और कारण लेकर आएंगे और दूसरा मौका मांगेंगे। यह संभव नहीं है।’ पीयू परीक्षाओं में प्रैक्टिकल के 30 और थ्यौरी के 70 अंक होते हैं।
फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों को धमकी
खबर थी कि हिजाब मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों को जान से मारने की धमकियां मिली हैं। इसके बाद से ही कर्नाटक सरकार और पुलिस अलर्ट मोड पर है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने रविवार कहा कि देश की कानून व्यवस्था के लिए जोखिम बनने वाली राष्ट्र विरोधी ताकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पत्रकारों से बातचीत में बोम्मई ने कहा, ‘चीफ जस्टिस समेत कर्नाटक के तीन जजों को तमिलनाडु से जान से मारने की धमकी मिली है। इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है। सभी को कोर्ट के फैसले को स्वीकार करना चाहिए।’ उन्होंने तीनों जजों को Y कैटेगरी की सुरक्षा देने का फैसला किया है। साथ ही पुलिस महानिदेशक को तत्काल जांच शुरू करने के निर्देश दिए।
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