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    हाईकोर्ट का आदेश-परिवार में बेटी से ज्यादा विधवा बहू का अधिकार, सरकार करे नियमों में बदलाव

  • December 06, 2021

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (public distribution system) में नई व्यवस्था बनाते हुए बहू या विधवा बहू को भी परिवार की श्रेणी में रखने आदेश दिया है. इसके साथ ही सरकार से पांच अगस्त 2019 के आदेश में बदलाव करने का निर्देश दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपने आदेश में कहा कि परिवार में बेटी से ज्यादा बहू का अधिकार(daughter-in-law has more rights than daughter) है. लेकिन, उत्तर प्रदेश आवश्यक वस्तु (वितरण के विनियम का नियंत्रण) आदेश 2016 में बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है और इसी आधार पर उसने (प्रदेश सरकार) 2019 का आदेश जारी किया है, जिसमें बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है.



    इस वजह से बहू को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता (Daughter-in-law cannot be deprived of her rights) है. परिवार में बहू का अधिकार बेटी से अधिक है. फिर बहू चाहे विधवा हो या न हो. वह भी बेटी (तलाकशुदा या विधवा भी) की तरह ही परिवार का हिस्सा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में अपने इस आदेश में उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड Uttar Pradesh Power Corporation Limited (सुपरा) (Supra) , सुधा जैन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, गीता श्रीवास्तव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के केस का हवाला भी दिया और याची पुष्पा देवी के आवेदन को स्वीकार करने का निर्देश देते हुए उसके नाम से राशन की दुकान का आवंटन करने का निर्देश दिया है.
    दरअसल, याची पुष्पा देवी ने हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन किया है कि वह विधवा हैं. उसकी सास महदेवी देवी जिनके नाम राशन की दुकान आवंटित थी. 11 अप्रैल 2021 को उनकी सास की मौत हो गई. इससे उनके सामने जीवन-यापन का संकट खड़ा हो गया. वह और उनके दोनों बच्चे पूरी तरह से उनकी सास पर निर्भर थे. सास के मरने के बाद उनके परिवार में ऐसा कोई पुरुष और महिला नहीं बचा, जिसके नाम से राशन की दुकान आवंटित की जा सके. लिहाजा, वह अपनी सास की विधिक उत्तराधिकारी हैं और उनके नाम से राशन की दुकान का आवंटन किया जाए.
    याची ने राशन की दुकान के आवंटन के संबंध में संबंधित अथॉरिटी के प्रत्यावेदन किया था. लेकिन, अथॉरिटी ने यह कहकर उसका प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार के पांच अगस्त 2019 के आदेश के तहत बहू या विधवा बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है. लिहाजा, बहू को राशन की दुकान का आवंटन नहीं किया जा सकता है.

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