इंदौर। हाई कोर्ट इंदौर खंडपीठ (High Court at bench Indore ) द्वारा हाल ही में याचिका निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता किरदार पर कोर्ट का समय ख़राब कर विलम्ब करने हेतु बेवजह मुकदमा दायर करने पर दो लाख का जुर्माना लगाया।
मकान मालिक (Landlord) जैपालदास पंजाबी ने अपने भाई महेश कुमार पंजाबी को दावा बाज़ार में एक दुकान व्यापार हेतु किराए (rent) पर दी थी। भई ने किराया देना तो दूर, दुकान को पारिवारिक मालकियत बताना शुरू कर दिया। इस पर मकान मलिक ने अपने भाई के विरुद्ध निष्कासन एवं किराया वसूली का दावा लगा दिया। उक्त मुकदमे में सम्पूर्ण बयान होने के बाद फ़ैसले में देरी करने की नियत से किरायेदार भई ने 2019 में एक नया दावा मकानमालिक भई के ख़िलाफ़ लगा कर किराईदारी प्रकरण को नए प्रकरण के साथ सुनवाई हेतु आवेदन लगाया। जिसे निचली अदालत ने निरस्त कर दिया। इसके बाद किरदार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर फ़ैसले पर रोक लगाने के लिए स्टे कि गुहार की।
ऐसे में मकान मलिक ने अपने अधिवक्ता प्रतीक माहेश्वरी द्वारा जवाब एवं दस्तावेज सहित प्रस्तुत किये। उच्च न्यायालय ने याचिककर्ता को किरदारी प्रकरण में विलम्ब करित करने के लिए दोशी मानते हुए उस पर २ लाख जुर्माना लगाया एवं एक हफ़्ते में जमा ना करने पर कठोर कार्यवाही के निर्देश दिए। १ लाख मकान मलिक को एवं १ लाख अधिवक्ता राहत कोष में जमा करने के निर्देश के साथ निरकरत करते हुए निचली अदालत को शीघ्र फ़ैसला देने के निर्देश दिए।
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