भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी मामलें में मॉनिटरिंग कमेटी को अब तक की गई अनुशंसा की विस्तृत परिपालन रिपोर्ट पेश करने निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुनीता यादव ने याचिका की अगली सुनवाई 14 फरवरी को निर्धारित की है। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2012 में भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीडि़तों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे। वहीं निर्देश में शामिल बिंदुओं के क्रियान्वयन के लिए मॉनिटरिंग कमेंटी को गठित करने का निर्देश भी दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट को मॉनिटरिंग कमेटी की हर तीन माह में पेश रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के भी निर्देश दिए थे। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा का राज्य सरकार द्वारा परिपालन नहीं किया जाने के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गयी थी। दायर अवमानना याचिका के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का परिपालन केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है।
गैस त्रासदी के पीडि़त व्यक्तियों के न तो हेल्थ कार्ड बनाए गए न ही अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध कराई गईं। वहीं बीएमएचआरसी के भर्ती नियम निर्धारित होने के कारण डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं कर रहे हैं। युगलपीठ ने पूर्व में पेश परिपालन रिपोर्ट पर नाराजगी व्यक्त की थी। कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों का समुचित उपचार नहीं मिलने पर युगलपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मजबूरन हमें यह आदेश पारित नही करना पड़ें, कि पीडि़त अपनी मर्जी से किसी भी अस्पताल में उपचार करवाये और उनका खर्च सरकार उठायेगी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ ने सोमवार को याचिका सुनवाई करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि अभी तक मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा पेश की गयी सभी 18 त्रैमासिक रिपोर्ट में कितनी अनुशंसा की गयी है और कितनी अनुशंसाओं का परिपालन किया गया है,इसके संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करें।
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