भोपाल। मप्र हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि राजधानी भोपाल की आबादी का सही आकलन किए बिना भोपाल मास्टर प्लान 2031 के मसौदे को हरी झंडी कैसे दे दी गई? चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस अंजुलि पालो की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार व टीएनसीपी विभाग को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब तलब किया। अगली सुनवाई 15 सितंबर नियत की गई।
यह प्लानिंग 2031 में शहर की आबादी 36 लाख हो जाने का आकलन करते हुए की गई। जबकि 2031 तक शहर की आबादी महज 26 लाख ही होने का अनुमान है। इसके अलावा 70 प्रतिशत ग्रीन क्षेत्र कम कर दिया गया। वन्य जीवन, पर्यावरण और जलस्रोतों का भी ख्याल नहीं रखा गया। बड़ी झील के कैचमेंट एरिया में बाघों का मूवमेंट होने के बावजूद यहां निर्माण की अनुमति दे दी गई। प्रति हेक्टेयर 42 लोगों के हिसाब से प्लानिंग होनी थी, लेकिन 100 व्यक्ति के हिसाब से की गई।
यह प्लान शहर के पर्यावरण, वन्य जीवन, जलस्रोतों, ग्रीन बेल्ट के लिए घातक है। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई। लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। आग्रह किया गया कि भोपाल मास्टर प्लान 2031 को निरस्त करने व विभिन्न जनहित से जुड़े पहलुओं का ध्यान रखते हुए इसे फिर से बनाने के निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने याचिका मे बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
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