इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने हाल ही में सरपंचों को वित्तीय अधिकार देने की घोषणा की थी, जिसे अब मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) की इंदौर बेंच में चुनौती दी गई है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने 17 जनवरी को ग्राम पंचायत (Village Panchayat) में प्रधान के रूप में उन्हीं सरपंचों को नियुक्ति प्रदान की है, जो पिछले दो सालों से प्रधान के रूप में कार्य कर रहे थे। इसे चुनौती देते हुए एक नागरिक महेश चौहान (Mahesh Chauhan) द्वारा हाईकोर्ट में याचिका (petition in high court) दायर की गई है, जिसमें इस व्यवस्था को गैरकानूनी बताते हुए कहा गया है कि दो साल से चुनाव नहीं हुए हैं, ऐसे में उक्त वित्तीय संबंधी कार्य केवल सरकारी अधिकारियों द्वारा ही किया जा सकता है।
कानून में भी यह प्रावधान है कि सरपंच का कार्यकाल खत्म (Sarpanch’s term ends) होने पर इसे छह माह बाद बढ़ाया नहीं जा सकता, जबकि वर्ष 2020 में ही सरपंचों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, ऐसे में अब उन्हें वित्तीय कार्य नहीं सौंपा जा सकता। एडवोकेट अजय मिश्रा (Advocate Ajay Mishra) के मुताबिक इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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