जयपुर। गर्मी की छुट्टियों के बाद सोमवार से शुरू होने वाली अदालतों को लेकर हाईकोर्ट (High Court) ने नई गाइडलाइन (guideline) जारी की है. इसके तहत प्रदेश की अदालतों में केवल वही अधिवक्ता (Advocate) फिजिकल पैरवी कर सकेंगे, जिन्हें कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की दोनों डोज (vaccine) लग चुकी है. ऐसे अधिवक्ताओं को दूसरी डोज़ लगने के 14 दिन बाद अदालत में प्रवेश मिल सकेगा. इसके लिए उन्हें अपना फाइनल वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट (vaccination certificate) दिखाना होगा. हाईकोर्ट (High Court) के इस फरमान से प्रदेश में 45 साल से कम उम्र के लगभग 80 प्रतिशत अधिवक्ता अदालतों में प्रवेश नहीं कर पाएंगे, क्योंकि देश में 1 मई से 18 प्लस उम्र वाले का वैक्सीनेशन (vaccination) शुरू हुआ था. ऐसे में जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन (covishield vaccine) की डोज़ लगवाई है, उन्हें दूसरी डोज़ 84 दिन बाद लगेगी जो कि 23 जुलाई के बाद लगना शुरू होगी. हालांकि, जिन्होंने को-वैक्सीन लगवाई है, वे 28 दिन बाद दूसरी डोज़ ले सकते हैं, लेकिन प्रदेश में को वैक्सीन की आपूर्ति केवल 20 प्रतिशत है.
हाईकोर्ट प्रशासन के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष भुवनेश शर्मा ने इस फैसले को पूरी तरह से गलत बताया है. उन्होंने कहा कि हमने मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहन्ती के साथ हुई बैठक में ही कह दिया था कि केवल दो डोज लगवाने वाले को अनुमति देना व्यवहारिक नहीं है. हमने फ़िजिकल पैरवी के लिए एक डोज़ की अनिवार्यता की बात कही थी. हम इस फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवाएंगे.
बार एसोसिएशन को रास नहीं आया फैसला
देश की सबसे बड़ी बार दी बार एसोसिएशन जयपुर (Jaipur Bar Association) के अध्य्क्ष अनिल चौधरी ने भी फैसले को व्यवहारिक नहीं बताया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हाईकोर्ट प्रशासन केवल उन्हीं अधिवक्ताओं को कोर्ट परिसर में एंट्री देने की बात कह रहा है, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज़ ली है. वहीं, दूसरी ओर 45 साल से कम उम्र के मजिस्ट्रेट और न्यायिक कर्मचारियों को लेकर कोई बात नहीं कही गई. उन्होंने कहा कि प्रदेश की अदालतों में एसीजेएम स्तर के जज और 70 प्रतिशत न्यायिक कर्मचारी 45 साल से कम उम्र के हैं, लेकिन उनके प्रवेश पर कोई रोक नहीं है. फिर अधिवक्ताओं के साथ यह दोहरा रवैया क्यों?
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