भोपाल। स्वास्थ्य विभाग में सैकड़ों डॉक्टर अपनी सीआर यानि गोपनीय चरित्रावली के लिए परेशान हो रहे हैं। अफसरों के चक्कर काटने के बाद भी सीआर में सुधार नहीं हो पा रहा है। कई सालों से सर्विस बुक न मिलने से परेशान होकर भोपाल के एक डॉक्टर ने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की थी। डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों को सर्विस बुक देने का आदेश देते हुए मामले को डिस्पोज कर दिया। लेकिन विभागीय अफसरों ने न्यायालय के आदेश के बावजूद सर्विस बुक नहीं दी। इसको लेकर फिर से याचिकाकर्ता डॉक्टर ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना की याचिका लगाई। इस मामले पर जबलपुर हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव मो.सुलेमान, डीएमई, भोपाल संभागायुक्त और गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस जारी किया है।
2003 से नहीं मिल पा रही सर्विस बुक
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉ. ईश्वर दयाल चौरसिया 2003 में चिकित्सा शिक्षा विभाग में बतौर प्रतिनियुक्ति पर आए थे। डॉ. चौरसिया का कहना है कि 2003 के बाद से ही उनकी सही सर्विस बुक नहीं मिल पा रही है। इसको लेकर उन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 26 जुलाई को हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने ऑर्डर जारी करते हुए डॉक्टर की पूरी सर्विस बुक 15 दिनों में देने के आदेश दिए थे। लेकिन इसके बावजूद उन्हें सर्विस बुक नहीं मिल पाई। डॉक्टर चौरसिया के वकील सौरभ सुन्दर ने बताया कि डॉ. आईडी चौरसिया के प्रकरण में हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने एसीएस मेडिकल एजुकेशन, कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन, संभागायुक्त भोपाल और जीएमसी के डीन को नोटिस जारी किए हैं। ये कंटेप्ट याचिका डॉ. चौरसिया द्वारा पहले लगाई गई रिट पिटीशन में जिसमें हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने डायरेक्शन दिया था कि इनकी सर्विस बुक की कॉपी उपलब्ध कराई जाए। डॉ. चौरसिया को सर्विस बुक पूरी तरह नहीं दी गई। इस मामले को लेकर चौरसिया ने कंटेप्ट दायर किया था। इसी मामले में इन अफसरों को नोटिस जारी किए गए हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved