नई दिल्ली । दिल्ली हिसा मामले में (In Delhi Violence Case) हाईकोर्ट (High Court) ने शरजील इमाम (Sharjeel Imam) को केस से जुड़े दस्तावेज (Documents Related to the Case) पेश करने (To Present) को कहा । दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जेएनयू स्कॉलर और सामाजिक कार्यकर्ता शरजील इमाम और उमर खालिद की अपील को क्रमश: 19 और 24 मई तक के लिए स्थगित कर दिया। इन्होंने निचली अदालत के उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिसने दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने शरजील को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में उनके द्वारा दिए गए कथित आपत्तिजनक भाषणों के संबंध में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और चार्जशीट जमा करने को कहा। सुनवाई के दौरान शरजील के वकील तनवीर अहमद मीर ने प्राथमिकी को स्क्रीन पर साझा करने का सुझाव दिया। हालांकि, अदालत ने मीर की दलील को मानने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा, “स्क्रीन शेयर करने जैसे काम को रोकना होगा। यह पावर-प्वाइंट प्रेजेंटेशन नहीं है। चार्जशीट जमानत का निर्धारण करने के लिए एक सार्थक दस्तावेज है, इसे रिकॉर्ड पर रखा जाना चाहिए। आपको इसे रिकॉर्ड में रखना चाहिए। हमारे पास फोटोग्राफिक मेमोरी नहीं है।” शरजील इमाम ने 11 अप्रैल के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने उन्हें बड़े षड्यंत्र के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था।
पुलिस के अनुसार, इमाम ने जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली में 13 दिसंबर, 2019 को और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश में 16 जनवरी, 2020 को कथित भड़काऊ भाषण दिए थे। वह 28 जनवरी, 2020 से न्यायिक हिरासत में है और फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। निचली अदालत में जमानत खारिज होने की ऐसी ही स्थिति के बाद उमर खालिद ने भी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध के दौरान महाराष्ट्र के अमरावती में दिए गए उनके कथित आपत्तिजनक भाषण दंगों के मामले में उनके खिलाफ आरोपों का आधार है। पिछली सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता ने ‘क्रांतिकारी’ और ‘इंकलाब’ शब्दों के अर्थ का विवरण देते हुए मैटेरियल और केस लॉ प्रस्तुत किया था, जो उसके द्वारा कथित भाषणों में इस्तेमाल किए गए थे।
सीएए समर्थकों और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच झड़प शुरू होने के बाद फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हिसा भड़क उठी थी। यह हिंसा ऐसे समय पर हुई थी, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी भारत की पहली यात्रा पर आ रहे थे। इस हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
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