इंदौर, तेजकुमार सेन। चुनाव ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर लगभग 10 साल पहले एक सरकारी कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन आज तक न तो उसे बहाल किया गया न ही उसकी कोई विभागीय जांच तक हुई। हाईकोर्ट ने प्रशासन के इस रवैये पर अचंभित होते हुए कलेक्टर को एक माह में कर्मचारी का निलंबन रद्द करने के निर्देश दिए हैं।
मामला इस प्रकार है कि विनोदकुमार धाकरे को चुनाव ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर लगभग 10 साल पहले अक्टूबर 2013 में जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा सस्पेंड कर दिया गया था। इस मामले में उसकी कोई विभागीय जांच आदेशित नहीं हुई, उलटे उसका निर्वाह भत्ता रोक लिया गया। इसे लेकर सन् 2016 में उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई तो कोर्ट के निर्देश पर उसका निर्वाह भत्ता शुरू किया गया, लेकिन मई 2020 से फिर से निर्वाह भत्ता रोक दिया गया, जो अभी तक नहीं मिला। इस पर विनोदकुमार ने अधिवक्ता रेखा श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
तर्क सुनने के बाद अपने फैसले में जस्टिस विजयकुमार शुक्ला की बेंच द्वारा उल्लेखित किया गया कि यह आश्चर्यजनक और अचंभित करने वाला है कि 10 साल से वह बिना किसी विभागीय जांच के निलंबित है। कोर्ट ने कलेक्टर नीमच को निर्देश दिए कि अन्य कोई कानूनी बाधा न हो तो इस आदेश की कॉपी मिलने के एक माह में याचिकाकर्ता का निलंबन रद्द करने के आदेश जारी करें। याचिकाकर्ता नीमच जिले की रतनगढ़ नगर परिषद का कर्मचारी है। लगभग एक दशक के निलंबन के दौरान याचिकाकर्ता का स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ और वह कैंसर व किडनी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है।
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