इंदौर, नासेरा मंसूरी। पूरे देश सहित इंदौर जिले में भी पशुधन संगणना शुरू हो चुकी है। नवंबर के पहले सप्ताह से शुरू पशुधन संगणना में जिले को अर्बन (वार्ड) और रूरल (ग्रामीण) में बांटकर काम किया जा रहा है। प्रगणकों (गणना करने वाले) पर सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। खास बात ये है कि इस बार भी पशुधन संगणना में टेक्नोलॉजी की मदद ली जा रही है। टैब या मोबाइल के माध्यम से डाटा स्टोर किया जा रहा है।
इंदौर जिले में भी पशु पालन एवं डेयरी विभाग ने नवंबर माह की शुरुआत से गणना की शुरुआत कर दी है। यह 21वीं पशुधन संगणना है, जो देशभर में दिसंबर अंत तक लगातार चलेगी। इस बार गणना के आंकड़ों को सीधे टैब या मोबाइल के जरिए ‘पशु गणना सॉफ्टवेयर’ में फीड किया जा रहा है, जिसमें पशुओं की नस्लों के बारे में भी जानकारी भरी जा रही है। इसकी खासियत ये है कि पशु की फोटो स्कैन करते ही उसकी नस्ल की जानकारी सामने आ रही है। इंदौर जिले को दो भागों में बांटकर प्रगणक अपने सुपरवाइजर की निगरानी में इस काम को कर रहे हैं। इस पशुधन संगणना के डाटा का इस्तेमाल पशुधन कल्याण कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में किया जाता है।
एक सुपरवाइजर की निगरानी में 5 से 10 प्रगणक
संगणना के लिए प्रगणकों और सुपरवाइजर की नियुक्ति की गई है। अर्बन और रूरल क्षेत्र में डोर टू डोर जाकर गणना करने वाले प्रगणकों में गौ सेवक, पशु सखी और एवीएफओ शामिल है। इनके ऊपर सुपरवाइजर की नियुक्ति की गई है। इंदौर जिले में कुल 28 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं, जो डॉक्टर है। वहीं, जिले में 225 प्रगणक नियुक्त किए गए हैं। एक सुपरवाइजर पर 5 से 10 प्रगणक क्षेत्र के अनुसार नियुक्त किए गए हैं।
17 पशु प्रजातियां की जा रही शामिल
संगणना में प्रदेश में 17 पशु प्रजातियों को शामिल किया गया है। इसमें घर, घरेलू उद्यम और गैर घरेलू उद्यम के पशु शामिल है। इसमें गौवंश, भैंस, ऊंट, बकरी, सूअर, भेड़, गधा, खच्चर, घोड़ा, पोट्री (बतख, मुर्गी और अन्य), याक, हाथी, टट्टू, श्वान, खरगोश, सडक़ों के गौवंश और श्वान एवं पहाड़ी भैंसा (मिथुन) शामिल है। अन्य प्रदेशों में प्रजातियां और उनकी संख्या अलग है।
कई जगह नेटवर्क के चलते आ रही परेशानी
कई ग्रामीण इलाकों में संगणना के दौरान नेटवर्क की समस्या के चलते सीधे डाटा अपलोड करने में प्रगणकों को कई बार परेशानी आ रही है। ऐसे में कई बार वे सेंटर पर आकर डाटा अपलोड कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र में यह समस्या नहीं आ रही है। प्रगणक पशुओं की उम्र, लिंग और नस्ल की जानकारी ले रहे हैं। च्
‘‘पशुधन संगणना पर लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है। तकनीकी परेशानी आने पर लगातार केंद्र स्तर पर सुधार कर इसे अपडेट भी किया जा रहा है। इंदौर जिले में हमने क्षेत्र के आकार के अनुसार प्रगणक नियुक्त किए है। इससे पहले पशुधन संगणना साल 2019 में की गई थी, जिसमें मध्यप्रदेश में 6 करोड़ से अधिक पशुओं को दर्ज किया गया था। मध्यप्रदेश भारत का तीसरा सबसे ज्यादा पशुओं वाला राज्य रहा था।’’
– डॉ शशांक जुमड़े, उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, इंदौर
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